गांधीनगर| 23 वर्ष पहले नरेन्द्र मोदी ने जब गुजरात के 14वें मख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब गुजरात में शिक्षा का स्तर काफी निम्न था। उसी समय मोदी ने संकल्प किया था कि वे गुजरात में शिक्षा क्षेत्र की स्थिति में सुधार लाने के सभी प्रयास करेंगे और राज्य के अंतिम छोर के वर्ग तक शिक्षा को सरल व सुलभ बनाएंगे। इस संकल्प को साकार करने के लिए उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में दृढ़तापूर्वक कई पहलें व योजनाएँ शुरू कीं और राज्य में शिक्षा का दायरा बढ़ाने के भगीरथ प्रयास शुरू किए। राज्य में प्राथमिक शिक्षा को रफ्तार देने तथा विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन बढ़ाने के उद्देश्य से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2003 में शाला प्रवेशोत्सव तथा कन्या केळवणी (शिक्षा) रथयात्रा कार्यक्रम शुरू किए। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में 21वाँ शाला प्रवेशोत्सव आयोजित हुआ। 23 वर्ष पहले शिक्षा क्षेत्र में नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई तपस्या के सकारात्मक परिणाम हम आज देख सकते हैं। मोदी के प्रयासों के चलते आज गुजरात में ही उच्च एवं तकनीकी शिक्षा देने वाले महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। 23 वर्ष पहले गुजरात में केवल 21 विश्वविद्यालय थे, जबकि आज राज्य में 108 विश्वविद्यालय कार्यरत हैं, जो विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर ही उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान कर रहे हैं। गुजरात आज सेक्टर-स्पेसिफिक यूनिवर्सिटियों का हब बना है। राज्य के सरकारी विद्यालय भी आज स्मार्ट व डिजिटल बने हैं। दो दशक पहले ब्लैक बोर्ड पर पढ़ने वाले विद्यार्थी आज टेक्नोलॉजी की सहायता से स्मार्ट बोर्ड तथा इंटरेक्टिव स्मार्ट क्लासेस का उपयोग कर रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र की ये उपलब्धियाँ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व को आभारी है।