EPFO में रिकॉर्ड वृद्धि, पीएफ अंशधारकों की संख्या 7.37 करोड़ हुई

नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ एक सुरक्षित निवेश है, जो उन्हें बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा देती है. हर महीने आपकी सैलरी का कुछ हिस्सा काटकर उसे पीएफ अकाउंट में जाता जाता है. जितना आप पीएफ में डालते हैं उतना ही कंपनी आपके पीएफ में कंट्रीब्यूट करती है, जिसपर सरकार ब्याज भी देती है. कर्मचारियों के पीएफ का लेखा-जोखा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( EPFO) करती है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में ईपीएफओ में योगदान देने वाले सदस्यों की संख्या में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो बढ़कर 7.37 करोड़ हो गई है. वित्त वर्ष 2022-23 में ईपीएफओ अंशधारकों की संख्या 6.85 करोड़ थी. वहीं योगदान देने वालों संस्थाओं की संख्या 6.6 प्रतिशत बढ़कर 7.66 लाख हो गई है.

क्या है इन आंकड़ों के मायने

श्रम मंत्रालय की ओर से जारी किए गए इन आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में ईपीएफओ में योगदान करने वालों की संख्या में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार और व्यापारों की संख्या बढ़ रही है, जो कर्मचारियों को बेहतर जीवन स्तर मुहैया कराती है.

ईपीएफओ दावों का निपटारा

ईपीएफओ की बकाया राशि की वसूली में भी 55.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष के 3,390 करोड़ रुपये की तुलना में 5,268 करोड़ रुपये हो गई है. पिछले वर्ष की तुलना में निपटाए गए दावों की संख्या में भी 7.8 प्रतिशत बढ़कर 4.12 करोड़ से बढ़कर 4.45 करोड़ हो गई है.

अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2024 के मसौदे पर भी चर्चा

कार्यकारी समिति ने नई अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2024 के मसौदे पर भी चर्चा की, जिसका लक्ष्य ईपीएफओ के कई कर्मचारियों के आश्रितों और बच्चों को राहत पहुंचाना है, जिनकी दुर्भाग्यवश सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी, जिनमें से कई की मृत्यु कोविड महामारी के दौरान हुई थी. इसके अलावा बैठक में कार्यकारी समिति ने ईपीएफओ में बेहतर गवर्नेंस के लिए आईटी, प्रशासनिक, वित्तीय और अन्य संबंधित पहलुओं पर चर्चा की गई. ईपीएस पेंशन भुगतान के लिए सरकार नई केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली को लाने पर काम कर रही है.

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