नई दिल्ली,टाटा ग्रुप और साइरस मिस्त्री विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को NCLAT के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट में इस मामले पर महज 10 सेकंड की सुनवाई हुई और चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने फैसला सुना दिया। NCLAT ने 18 दिसंबर को सुनाए अपने फैसले में साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा ग्रुप का एग्जिक्युटिव चेयरमैन नियुक्त कर दिया था। इसके अलावा ट्राइब्यूनल ने एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को भी अवैध बताया था।दोबारा चेयरमैन नहीं बनना चाहते मिस्त्रीकोर्ट के फैसले को लेकर साइरस मिस्त्री की तरफ से पेश होने वाले वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम, श्याम दिवान, मनिंदर सिंह और नीरज के कौल ने कहा कि वे टाटा ग्रुप का एग्जिक्युटिव चेयरमैन दोबारा नहीं बनना चाहते हैं, लेकिन छोटे शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा करने के लिए तत्पर हैं।
टाटा सन्स ने फैसले को चुनौती दी थी
NCLAT के फैसले को टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा गया था कि ट्राइब्यूनल का फैसला बिल्कुल गलत है और यह कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी के खिलाफ है। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि ट्राइब्यूनल ने फैसला ही गलत लिया है। मिस्त्री के पक्ष में वह फैसला सुनाया गया जिसकी उन्होंने मांग ही नहीं की थी।
अक्टूबर 2016 में पद से हटाए गए थे साइरस मिस्त्री
साइरस मिस्त्री को 2012 में एग्जिक्युटिव चेयरमैन नियुक्त किया गया था। करीब चार साल बाद 24 अक्टूबर 2016 को उन्हें पद से हटा दिया गया था। आठ में सात डायरेक्टर ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के समर्थन में वोट किया था। टाटा सन्स की तरफ दायर याचिका में कहा गया था कि NCLAT ने कंपनी के बहुमत वाले शेयर होल्डर्स और डायरेक्टर के फैसले का अपमान किया है।