कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने CAA पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बयान का समर्थन किया है. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि नागरिकता का मुद्दा केंद्र के अधीन आता है और CAA को लागू करने के अलावा राज्य सरकारों के पास कोई चारा नहीं है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, जयराम रमेश ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के इस विचार से सहमति जताई है.
कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा था कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से कोई भी राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य ऐसा करता है तो असंवैधानिक होगा. अब पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी ऐसा ही बयान दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि जो राज्य ये कह रहे हैं कि वे अपने प्रदेश में CAA लागू नहीं करेंगे, अदालत में उनका ये तर्क टिक पाएगा या नहीं इस बारे में वे सौ फीसदी इत्मीनान नहीं है.
CAA के खिलाफ दो राज्य पास कर चुके हैं प्रस्ताव
बता दें कि CAA के खिलाफ दो राज्य प्रस्ताव कर चुके हैं. केरल की लेफ्ट सरकार ने 31 दिसंबर को विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर इस कानून को वापस लेने की मांग की है और अपने राज्य में इसे नहीं लागू करने का फैसला किया है. केरल सरकार इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई है.
17 जनवरी को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भी विधानसभा में प्रस्ताव किया और इस कानून को वापस लेने की मांग की. इसी के साथ ही पंजाब CAA के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला दूसरा राज्य बन गया. विधानसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार भेदभाव करने वाले कानून को राज्य में लागू नहीं करेगी.
पहले सिब्बल, अब जयराम रमेश
केरल के कोझिकोड में पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने CAA से जुड़ी कानूनी बारिकियों को समझाते हुए कहा कि जब CAA संसद से पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य सरकार यह नहीं कह सकती है कि वो उसे लागू नहीं करेगा. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है. आप CAA का विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र से कानून वापस लेने की मांग कर सकते हैं. लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि इसे लागू नहीं किया जाएगा, समस्याएं पैदा कर सकता है.
जयराम रमेश ने भी ऐसा ही बयान देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जो राज्य CAA को अपने यहां लागू नहीं करने की बात कह रहे हैं वो न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर पाएंगे. उन्होंने कहा, “मैं उतना निश्चित नहीं हूं कि जो राज्य सरकारें ये कह रही है कि वे ये कानून लागू नहीं करेंगे उनका पक्ष कोर्ट में कितना सुना जाएगा, मुझे पता है कि केरल सरकार ने एक प्रस्ताव पास किया है, लेकिन ये एक राजनीतिक प्रस्ताव है ये न्यायिक प्रक्रिया का कितना सामना कर पाएगा इस बारे में मैं 100 फीसदी सुनिश्चित नहीं हूं.”
आगे उन्होंने कहा कि CAA संविधान की कुछ धाराओं का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है. संवैधानिक रूप से यह बहुत स्पष्ट है लेकिन राज्य की एक विधानसभा ये प्रस्ताव पास करे कि वो CAA लागू नहीं करेगी संवैधानिक मानकों पर खरा उतरेगी या नहीं, इसके बारे में वे इत्मीनान नहीं हैं.” बता दें कि कांग्रेस CAA का लगातार विरोध कर रही है और इसे संविधान का उल्लंघन बता रही है.