यूरोपीय संसद में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव

लंदन। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर देश में मचे हंगामे के बीच अब यह मुद्दा यूरोपीय यूनियन की संसद तक पहुंच गया है। यूरोपीय संसद सीएए के खिलाफ पेश किए गए प्रस्ताव पर बहस और मतदान करेगी। संसद में इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया था जिस पर बहस होगी और इसके एक दिन बाद मतदान होगा। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नया नागरिकता कानून पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है। अधिकारी ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि यूरोपीय यूनियन में इस प्रस्ताव को लाने वाले और इसका समर्थन करने वाले लोग सभी तथ्यों को समझने के लिए भारत से संपर्क करेंगे। ईयू संसद को ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी विधायिका के अधिकारों पर सवाल खड़े हों। इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के अनुच्छेद 15 के अलावा 2015 में हस्ताक्षरित किए गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी संयुक्त कार्य योजना और मानवाधिकारों पर यूरोपीय संघ-भारत विषयक संवाद का जिक्र किया गया है।
विश्व में पैदा होगा होगा संकट
प्रस्ताव में भारत से अपील की गई है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ रचनात्मक बातचीत हो और भेदभावपूर्ण सीएए को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार किया जाए। प्रस्ताव में कहा गया है, सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा। इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है।
देश में सीएए का विरोध
सीएए भारत में पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था जिसको लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत सरकार का कहना है कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीडऩ का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है। केरल, पंजाब और राजस्थान की विधानसभाओं में भी इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया है।

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *