नई दिल्ली। कोरोना ने पूरी विश्व की अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में ले लिया है। सप्लाई और चेन का खेल ऐसा बिगड़ा कि तेल की डिमांड काफी घट गई, जिससे कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट आई है। रूस और सऊदी अरब इसे अपने लिए अवसर के रूप में देख रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा बाजार पर कब्जा जमाने की होड़ में शामिल हो गए। डिमांड घटती गई, प्रोडक्शन बढ़ता गया और कीमतें गिरने लगीं। तेल के इस खेल में विश्व की सबसे महंगी कंपनी सऊदी अरामको का खजाना लूटता दिख रहा है। ंएक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में सऊदी अरामको की कमाई में जबरदस्त गिरावट आई है। इसकी कमाई 92 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि 2018 में यह विश्व की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली कंपनी थी। 2018 में कंपनी की कुल कमाई 111 अरब डॉलर रही थी।
करीब आधी हुई कीमत
इस बीच सऊदी अरामको ने ऐलान किया है कि वह कच्चे तेल की कीमत को 25 डॉलर प्रति बैरल तक ले आएगी और इसके लिए वह प्रॉडक्शन बढ़ाने जा रही है। अप्रैल से कंपनी 13 मिलियन बैरल तेल रोजाना उत्पादन करेगी। दिसंबर में जब अरामको ने आईपीओ जारी किया था तब कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर के करीब थी जो घटकर 34 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई है।