नई दिल्ली । भारतीय भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर) मीराबाई चानू इन दिनों ओलिंपिक टलने को लेकर चिंतित हैं। आजकल वे सिर्फ एक प्रार्थना करने में लगी हुई हैं कि कोविड-19 महामारी के बावजूद टोक्यो ओलिंपिक कार्यक्रम के अनुसार आयोजित हों, वर्ना ओलिंपिक पदक जीतने की उनकी सारी मेहनत निष्फल चली जायेगी। पिछले चार वर्षों से मीराबाई ने ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन करने के लिये काफी मेहनत की है लेकिन इस समय सिर्फ वह यही बात सोच सकती है कि 24 जुलाई से नौ अगस्त तक होने वाले टोक्यो खेलों का क्या होगा जिन्हें कोविड-19 के कारण स्थगित किया जा सकता है।
भारत में इससे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 324 हो गई है जबकि चार लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया भर में इससे मरने वालों की संख्या 13,000 से ऊपर पहुंच गई है जिसमें इटली सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। मीराबाई ने कहा, ‘अगर ओलिंपिक नहीं हुए तो हमारे पिछले चार वर्षों की मेहनत बेकार चली जायेगी। मैं नहीं चाहती कि ये रद्द हों, मैं रोज भगवान से प्रार्थना कर रही हूं। मैं बस खुद के लिये एक ओलिंपिक पदक चाहती हूं।’ मीराबाई का एकमात्र ओलिंपिक अभियान निराशाजनक तरीके से खत्म हुआ था क्योंकि वह क्लीन एवं जर्क वर्ग में अपने तीन प्रयासों में वजन उठाने में असफल रही थीं। कोविड-19 ने पूरी दुनिया के खेलों को बुरी तरह प्रभावित किया है, ज्यादातर टूर्नामेंट या तो रद्द हो गये हैं या फिर उन्हें स्थगित करना पड़ा है।
टोक्यो खेलों को कोरोना वायरस के प्रकोप के कम होने तक स्थगित करने की मांग की जा रही है और कई खिलाड़ियों ने ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति की ट्रेनिंग जारी रखने की सलाह की आलोचना भी की है जबकि पूरी दुनिया में सरकार सामाजिक दूरी बनाने की बात कर रही हैं। हालांकि दो बार की राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदकधारी मीराबाई चाहती है कि इनका आयोजन योजना के अनुसार ही हो। वह पहले ही ओलिंपिक कोटा हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘पदक जीतने का दबाव अब बदल गया है कि ओलिंपिक खेलों को रद्द नहीं होना चाहिए। मैं बस यही सोच रही हूं। बाकी ट्रेनिंग वगैरह के लिये मैं इस समय इतनी चिंतित नहीं हूं।’ मीराबाई ने कहा, ‘अगर ये स्थगित हो गये तो भी काफी समस्या होगी क्योंकि हमारे लिये इतने थोड़े समय में ही काफी कुछ बदल जायेगा।’