रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार लॉकडाउन की वजह से फंसे ठेका श्रमिकों का मानसिक तनाव कम करने के लिए परामर्शदाताओं को आश्रय स्थलों और शिविरों में सेवाएं प्रदान करने के लिए भेजेगी। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत पदस्थ मानव संसाधनों (साईकेट्रिक, साईकेट्रिक सोशल वर्कर, साईकेट्रिक नर्स, काउंसलरों, क्लिनिकल साईकोलॉजिस्ट एवं कम्यूनिटी नर्स) की डयूटी लगाई जायेगी| जिलों प्रशासन द्वारा बनाये गए शेल्टरों में पर प्रवासी मजदूरों को ठहराने की व्यवस्था की गयी है। इससे प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन के दौरान होने वाले मानसिक तनाव के लिए परामर्श/ काउंसलिंग के लिए तत्काल डियूटी पर मनोचिकित्सकों को लगाया जाना सुनिश्चित करना है। इन आश्रय स्थलों में प्रशिक्षित काउंसलर और सामुदायिक समूह के नेता सभी धर्मों से संबंधित को राहत शिविरों / आश्रय घरों में दौरा भी किया जाना है। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत उपलब्ध टीमों का उपयोग परामर्श सेवाएं प्रदान करते हुए श्रमिकों के मन में उठने वाले सवालों का जवाब देंगे। यह आदेश जारी करते हुए,सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का हवाला देते हुए, कहा गया है लॉकडाउन के दौरान देशभर के अलग-अलग राज्यों में ठेका श्रमिक फंसे हुए हैं। लॉकडाउन की वजह से रोजी-रोटी के लिए अन्य राज्यों में श्रमिक बन कर कार्य करने वाले प्रवासी श्रमिकोंको मानसिक तनाव से बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की सरकारों व स्वास्थ्य विभाग को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत प्रवासी श्रमिकों को मानसिक तनाव से बचाव के लिए परामर्श एवं काउंसिलिंग की सेवाएं प्रदान करना है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर प्रवासी मजदूरों को ठहराएं गए सेल्टरों व आश्रय स्थलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए परामर्श/ काउंसलिंग प्रदान करने का आदेश दिया है। इसी क्रम में श्री अतीत राव, परामर्श दाता, जिला मानसिक स्वास्थय कार्यक्रम (रायगढ़) ने बताया, वह जिले में क्वारणटीन हुए 6 व्यक्तियों की काउंसलिंग की जा रही है| रायगढ़ में 3 क्वारणटीन सेण्टर हैं जिनमें 6 लोगों को रखा गया है और इनकी काउंसलिंग हो रही है|