भिलाई। मेडिकल के क्षेत्र में हीमोफिलिया के मरीजों की पीढ़ा को समझना एक जटिल विषय है। यह एक एसी बीमार है जो ना सिर्फ ला इलाज है तथा अत्यंत कष्ट दाई भी है। इस बीमारी से पीडि़त लोगों के रक्त में ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर 8, 9 या 7 की कमी होती है। जिस कारण चोट लगने पर, त्वचा कटने पर होने वाला रक्त स्त्राव रुकता नहीं है। कुछ परिस्थितियों में उनकी मृत्यु भी हो जाती है। मरीजों के जोड़ों में सूजन काफी बार आती है इससे होने वाली पीढ़ा असहनीय होती है। उनके जोड़ों में आंतरिक रक्त स्त्राव होने से मरीजों के जोड़ों में विकृतियां आने तथा स्थाई विकलांगता से मरीज़ ग्रसित हो जाते हैं।
इस रोग मे मरीज़ को सिर्फ दैनिक जीवन में ही कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता बल्कि उनके, शिक्षा, कैरियर पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। वह समाज में एक पूर्ण व्यक्ति के रूप में कार्य नहीं कर पाते। इस रोग के प्रभाव को कम करने के लिए सिर्फ एक ही दावा उपयोगी है जो उन फॅक्टर्स जिन की कमी से ये बीमारी होती है उनके इंजेक्शंस है। परंतु इन की कीमत इतनी अधिक होती है की कोई भी मरीज़ इन्हें खरीदने में सक्षम नहीं होता। सामान्य तह मरीजों को साल भर मे लगने वाले ईन दवाओं की कीमत लाखों तक भी हो सकती है। इसी कारण मरीज़ पीड़ा दायक स्थितियों से हमेशा जुझते रहते हैं। उनका परिवार भी मरीज़ की पीढ़ा के लिए कुछ करने में सक्षम नहीं होता है।
पर अभी ईन मरीजों के लिए एक आस जगी है, छत्तीसगढ़ के कई जिलों में इस रोग की दवा अब निशुल्क रूप से जिला अस्पतालों में मिलने लगी है। दुर्ग जिले के मरीज़ों के लिए भी ये दवा उपलब्ध कराने हेतु प्रयास आरंभ किया गया है। दिनांक 01/10/2021 को डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला चिकित्सालय, दुर्ग) से आर.एन. रामाराव समाजसेवी एवं जिला दुर्ग के हीमोफिलिया सोसाइटी के सदस्यों ने मुलाकात की। इस अवसर पर डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर ने आश्वस्त किया कि यह दवा दुर्ग जिले में अतिशीघ्र उपलब्ध करवा दी जायेगी ताकि इस तरह के मरीजों को उपचार एवं काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने सकारात्मक एवं संवेदनशील रवैया अपनाते हुए उन्होंने तुरंत अपने अधीनस्थ को फैक्टर मांगने हेतु निर्देशित किया तथा डे केयर का अनुरोध भी स्वीकार कर लिया।
इस दौरान आर्यभट्ट शांडिल्य, सारंग उमक, श्रीमती शारदा पखाले,गुप्ता , विकास ठाकुर,श्रीमती मेघा उमक उपस्थित थे। हम रामाराव जी के आभारी है जिनके सहयोग से यह कार्य संभव हो पाया। उम्मीद है अब यहाँ के मरीजो को रायपुर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।