अयोध्या में शाम साढ़े पांच बजे तो दिल्ली में छह बजे होगा रावण दहन, जानें अपने शहरों का समय

नई दिल्ली . देशभर में दशहरे की खूब रौनक है।  इस साल 15 अक्टूबर को दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है. कोरोना महामारी के बीच मनाए जा रहे दशहरे के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. दिल्ली, लखनऊ, कानपुर समेत कई शहरों में देशभर में विजयादशमी और दशहरे की धूम है। असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस मौके पर देश के अलग अलग हिस्सों में रावण दहन करने की परंपरा है।

देश की राजधानी दिल्ली में रावण दहन का कार्यक्रम शाम छह बजे रखा गया है, जबकि लखनऊ में यह समय रात आठ बजे है. वहीं, कानपुर में नौ बजे का समय तय किया गया है। वहीं,  मुंबई में इस बार कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाएगा। कोरोना को देखते हुए यहां पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। अहमदाबाद में भी सार्वजनिक स्थल पर रावण दहन करने की अनुमति नहीं है।

अयोध्या में रावण दहन का टाइम
अयोध्या में रावण दहन का समय  शाम 5.30 बजे रखा गया है। लक्षमण किला दशहरा समिति की ओर से रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यहां के रामलीला मैदान में शाम साढ़े पांच बजे रावण दहन होगा। हालांकि, समिति ने कोरोना के मद्देजनर इस कार्यक्रम में ज्यादा भीड़ नहीं जुटाने की अपील की है।

वाराणसी में दो जगहों पर पर पुतला दहन हुआ करता था, लेकिन कोविड-19 के चलते इस बार भी रावण दहन कार्यक्रम नहीं होगा।

पटना में रावण दहन का समय
बिहार की राजधानी पटना में कालिदास रंगालय में रावण वध का समय शाम  4: 30 से 5:30 के बीच रखा गया है। रावण की ऊंचाई इस बार 15 फीट ही है। यह पहले 50 फीट से ऊंचा होता था,

 रायपुर में रावण दहन यहां होगा
डब्ल्यू आर एस कॉलोनी शाम 6 बजे रावण दहन का समय रखा गया है। इस बार रावण की ऊंचाई पहले से आधी कर दी गई है। 100 से 51 फीट हो गई है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल होंगे।

दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय हासिल की थी, इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है। । मां भगवती की विजया स्वरूप होने पर भी इसे विजयादशमी कहा जाता है। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्योहार असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।

दशहरा पर्व की धूम नवरात्रि पर्व के शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती है और इन नौ दिनों में विभिन्न जगहों पर रामलीलाओं का मंचन किया जाता है। दसवें दिन भव्य झांकियों और मेलों के आयोजन के पश्चात रावण के पुतले का दहन कर बुराई के खात्मे का संदेश दिया जाता है। रावण के पुतले के साथ मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले का ही दहन किया जाता है ।

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