बिहार | के यादव लड़कों के बीच तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर जितनी बेचैनी आज है इतनी अगर मुख्य चुनाव के समय दिखाए होते तो आज यह दिन देखना ही नहीं पड़ता।जहां भी यादव मतदाताओं के पास एनडीए के यादव कैंडिडेट और महागठबंधन के ग़ैर यादव कैंडिडेट में से एक चुनना था इन्होंने एनडीए के यादव कैंडिडेट को चुना। और राजद का ग़ैर यादव कैंडिडेट चुनाव हारा। उदाहरण- बेनीपुर राजद के बिनोद मिश्रा वीआईपी के मिश्री लाल यादव से हारे, औराई में माले के आफ़ताब आलम के ऊपर भाजपा के रामसूरत राय को चुना
जहां भी महागठबंधन के कैंडिडेट मुस्लिम थे वहां इन्होंने एनडीए को वोट दिया। बिस्फी में राजद के फ़ैयाज़ आलम के ख़िलाफ़ हरिभूषण ठाकुर बचौल, सुरसंड में से राजद के सैयद अबु दुजाना के ख़िलाफ़ जदयू के दिलीप राय, केवटी में अब्दुल बारी सिद्दीक़ी के खिलाफ भाजपा के मुरारी मोहन झा, सुपौल में कांग्रेस के मिनतुल्लाह रहमानी के ख़िलाफ़ जदयू के बिजेंद्र यादव, गौड़ाबौराम में राजद के अफ़ज़ल अली के ख़िलाफ़ वीआईपी की सवर्णा सिंह को थोक में यादवों ने वोट दिया और जिताया।विधायक जिताइयेगा पार्टी के ख़िलाफ़ जात को ऊपर रख कर तो मुख्यमंत्री कैसे बनाइयेगा पार्टी का।
अब अधीर होकर क्या मिलेगा? शांति से बैठिए। 2025 में फिर देखा जाएगा। तब तक बस दुआ कीजिए कि चिराग़ भैया फिर से अकेले लड़ें या फिर इस तरफ़ आकर। उधर गए तो फिर से नीतीशे कुमार।
2020 में राजद का MY समीकरण-
M-
एनडीए के टिकट पर एक भी मुस्लिम विधायक नहीं बना। सभी 11 कैंडिडेट हारे। शिवहर में जदयू के शरफ़ुद्दीन और दरभंगा ग्रामीण में फ़राज़ फातमी जैसे सुनिश्चित जीत का पूर्वानुमान वाले कैंडिडेट भी हार गए
Y-
NDA के टिकट पर 12 यादव विधायक बने। 6 भाजपा, 5 जदयू, 1 वीआईपी। सुरसंड में दिलीप राय जीत गए जिसको शुरुआत में मुख्य मुक़ाबले भी नहीं गिना जा रहा था। कहा जा रहा था राजद के दुजाना बनाम लोजपा के माधव चौधरी का चुनाव है।