नई दिल्ली . अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि ओवैसी ने जस्टिस जीवन लाल कपूर की जांच का हवाला देते हुए कहा था कि वी डी सावरकर महात्मा गांधी की हत्या में शामिल थे। ओवैसी के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया था।
अवमानना का मामला नहीं बनता: अटॉर्नी जनरल
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि ओवैसी ने सेवानिवृत जस्टिस कपूर आयोग के निष्कर्ष का हवाला दिया था न कि उच्चतम न्यायालय का इसलिए अवमानना का मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि जस्टिस कपूर वर्ष 1962 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो गए थे और सेवानिवृत्त होने के चार साल बाद उन्हें जांच आयोग के प्रमुख रूप में नियुक्त किया गया था। इसलिए मैं ओवैसी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति से इनकार करने के लिए बाध्य हूं।
ओवैसी का जवाब नहीं मिलने पर ‘थिंक टैंक’ ने अटॉर्नी जनरल को लिखा था पत्र
थिंक टैंक ने इस मामले में सबसे पहले ओवैसी को 15 अक्तूबर को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि देश के उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट कथन के बाद, यह कहने की गुंजाइश कहां है कि सावरकर ने गांधी जी की हत्या की थी, जैसा कि आपने कहा है? लेकिन ओवैसी ने जब इस पत्र जवाब नहीं दिया तो थिंक टैंक ने 23 अक्तूबर को एटॉर्नी जेनेरल वेणुगोपाल पत्र लिखा और कहा कि इसमें ओवैसी को संबोधित हमारे 15 अक्तूबर, 2021 के पत्र का संदर्भ है। उम्मीद की जा रही थी कि वह सीधे स्पष्टीकरण जारी करेंगे। दुर्भाग्य से, उक्त पत्र को उनके द्वारा स्वीकार भी नहीं किया गया है। इसलिए हम इस विषय पर ओवैसी की टिप्पणी के लिए सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति चाहते हैं।