जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) में पांच दिसंबर को प्रदेश कार्यसमिति के विशेष सत्र में अमित शाह (Amit Shah) अनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे. शाह की यात्रा का मकसद राजस्थान में पार्टी नेताओं- कार्यकर्ताओं को साफ संदेश देना है कि पार्टी सर्वेपरी है न कि नेता. जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में होने वाले इस कार्यक्रम में बीजेपी के सभी चुने हुए जन प्रतिनिधि भाग लेंगे. यानी पंचायत निकायो के चुने हुए पार्टी के प्रतिनिधियों से लेकर विधायक, सासंद, पार्टी के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे. सभी को अमित शाह का एक साथ और स्पष्ट संदेश वो भी ऐसे वक्त में जब मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद कांग्रेस गहलोत-पायलट को साधकर एकजुटता का संदेश दे रही है.
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मेवाड़ से मारवाड़ तक देव दर्शन और पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं के निधन पर शोक व्य्क्त करने जाने के पीछे असली मकसद खुद की जमीनी ताकत मजबूत करना है. यह संदेश पार्टी नेतृत्व तक देना का भी है कि जनता और कार्यकर्ताओं की पहली पसंद वे ही हैं. हालांकि वसुंधरा राजे ने बयान जारी कर साफ किया था कि यात्रा राजनीतिक नहींं है, लेकिन यात्रा के कार्यक्रमों के आयोजन के तरीके और भीड़ में असली तस्वीर साफ नजर आ रही थी.
वसुंधरा राजे की यात्रा पर बीजेपी ने साधी चुप्पी
वसुंधरा राजे की इस यात्रा पर प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि अमित शाह लक्ष्मण रेखा याद दिलाकर जाएगें. दअसल राजस्थान में इसी महीने दो विधानसभा उप चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए बेहद निराशाजनक रहे. बीजेपी धऱियावद में तीसरे तो वल्लनगर में चौथे स्थान पर रही है. इन नतीजों के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विपक्ष के नेता गुलब चंद कटारिया ,उप नेता राजेद्र राठौड़ वसुंधरा राजे समर्थको के निशाने पर हैं और राजे को 2023 के चुनाव के लिए सीएम फेस बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सवाल वसुंधरा राजे पर भी खड़े हुए.
आरोप लगे कि वे दोनों सीटों पर चुनाव प्रचार करने नहीं गईं, जबकि वे स्टार प्रचारक थी. उसी दरम्यान राजे जोधपुर गई थीं. पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा के निधन पर शोक जता कर लौटते वक्त ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के साथ खाना खाने से लेकर सेल्फी लेना चर्चा का विषय रहा था. पिछले पांच उप चुनाव में बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओ पर अपने समर्थकों को टिकट नहीं मिलने पर पार्टी के घोषित प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार नहीं करने का आरोप लगा. पार्टी के कई नेताओं में बढ़ रही भावी मुख्यमंत्री के चेहरे की होड़ भी पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व क लिए चिंता की वजह है.
अमिता शाह देंगे एकजिटता का संदेश
अब अमित शाह के जरिये पार्टी राजस्थान के खुद को सीएम फेस मान रहे नेताओं को भी एकजुटता के साथ जमीन पर काम करने का संदेश दे सकती है. हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व की अभी प्राथमिकता राजस्थान नहीं यूपी है, लेकिन राजस्थान में पार्टी की बिगड़ती सेहत को ठीक करने के लिए मिशन यूपी के बीच दवा की एक कड़वी घूंट पिलाने अमित शाह आ रहे है, जिससे राजस्थान में पार्टी 2023 के लक्ष्य की और एकजुट होकर आगे बढ़ सके. बीजेपी का राजस्थान में 2023 के लिए किसी को सीएम फेस घोषित करने का इरादा नहीं. ये संदेश भी शाह अपनी राजस्थान यात्रा में दे सकते हैं कि राजस्थान में 2023 का चुनाव बीजेपी कैसे लड़ेगी.vv