ब्रिटेन की महारानी के प्रभाव से मुक्त हुआ बारबाडोस द्वीप, बना पूर्ण गणतंत्र

लंदन । कैरेबियाई द्वीपों के प्रमुख राष्ट्र (लिटिल इंग्लैंड) ब्रिटिश महारानी के शिकंजे से पूरी तरह मुक्त हो गया है। यहां अब महारानी एलिजाबेथ-2 का शासन खत्म हो गया है, यानि महारानी अब इस देश की सुप्रीम अथारिटी नहीं होंगी।
कुल मिलाकार बारबाडोस में औपनिवेश काल का अंत होने के साथ ही यह देश अब पूरी तरह गणतंत्र हो गया ह। बारबाडोस की गवर्नर जनरल अब सैंड्रा मेसन होंगी, जिनकी नियुक्ति क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने ही की है। मेसन अटॉनी जज भी रही हैं। उन्होंने वेनेजुएला, कोलंबिया, चिली और ब्राजील के राजदूत के तौर पर काम भी किया है। वह मंगलवार रात्रि में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। इस तरह बारबडोस ब्रिटेन से अलग होकर 55वां गणतंत्र देश बन जाएगा।
वैसे तो बारबडोस 300 सालों की गुलामी के बाद ब्रिटेन से 1966 में आजाद हो गया था। 2005 में बारबडोस ने त्रिनिदाद स्थित कैरिबियाई कोर्ट ऑफ जस्टिस में इस बात की अपील की और लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल को हटा दिया। साल 2008 में उसने खुद को गणतंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इसके अनिश्चितकाल के लिए इसे टाल दिया गया लेकिन पिछले साल नेशनल हीरो स्कवॉयर से ब्रिटिश लॉर्ड होरातियो नेल्सन की मूर्ति हटा दी गई। इस ऐतिहासिक लम्हे के बाद यहां रहने वाले लोग काफी खुश नजर आए। बारबाडोस के गणतंत्र होने के उपलध्य में प्रिंस चार्ल्स मौजूद रहेंगे। वह रविवार को बारबडोस पहुंचेगे। इस दौरान उनको 21 तोपों की सलामी भी दी जाएगी। बारबाडोस की आबादी की बात करें तो यहां 3 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। इसे कैरेबियाई देशों में सबसे अमीर माना जाता है। यहां की अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर निर्भर है। इससे पहले गुयाना, डोमनिका, त्रिनिदाद और टोबैगो ही गणतंत्र हुए थे।
इस सबके लिए करीब एक महीने से तैयारी चल रही थी। बारबाडोस ब्रिटिश कॉलोनी के तौर पर अपनी पहचान रखता था। उसको लिटिल इंग्लैंड के तौर पर जाना जाता था। बारबाडोस ने दो तिहाई वोटों के साथ अपना पहला राष्ट्रपति चुन लिया है। इ कल रात लोग टीवी पर चिपके रहे और रेडियो पर भी लगातार इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए थे। वहीं बारबाडोस के पॉपुलर स्कवॉयर जहां पिछले साल ही ब्रिटिश लॉर्ड की मूर्ति हटाई गई थी, पर भी कई लोग पूर्ण आजादी की घोषणा का इंतजार कर रहे थे

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