दिल्ली चिड़ियाघर में पयर्टको को लुभाने का ‘मास्टर प्लान’ तैयार, जल्द होंगे बड़े बदलाव

नई दिल्ली | दिल्ली चिड़ियाघर मे देश भर से पर्यटक घूमने आते हैं। हालांकि कोरोना के चलते पहले के मुकाबले कई पाबंदियां है लेकिन चिड़ियाघर प्रशासन जानवरों की सुरक्षा और पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर सभी ऐहतियातन कदम उठा रहा है। चिड़ियाघर में जल्द नए बदलाव होना शुरू होंगे। हालांकि इनमें कुछ बदलावों पर काम शुरू भी हो चुका है। इसका पूर्ण उद्देश्य चिड़ियाघर को पर्यटकों के सामने एक जगह के रूप में रखना है, जिसे पर्यटक जिंदगी भर याद रख सकें। दिल्ली चिड़ियाघर करीब 176 एकड़ में फैला हुआ है। जानवरों की अलावा यहां विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे भी शामिल हैं। नए बदलावों के तहत दिल्ली चिड़ियाघर में एक ही जगह पर 100 प्रजातियों के पेड़ पौधे लगाये जायेंगे, ताकि जो पयर्टक पेड़ पौधे देखने की इच्छा रखते हैं, उन्हें एक ही जगह पर सब कुछ दिखाया जा सके।

इस जगह का नाम ‘ट्री पॉइंट’ दिया गया है, वहीं मौजूदा वक्त में दिल्ली चिड़ियाघर में 75 प्रजातियों के पेड़ पौधे शामिल हैं, जिन्हें इस वर्ष तक 100 किया जाएगा। दरअसल इसमें इसलिए भी समय लग रहा है क्योंकि कई पेड़ पौधे मौसम अनुसार भी फलते-फूलते हैं। चिड़ियाघर में कई स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थाओं से छात्र व लोग आते हैं जिन्हें पढ़ाने व प्रक्रति संरक्षण जागरूकता में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा यदि जानवरों की प्रजातियों की बात करें तो इनको भी बढाने का काम किया जा रहा है। बीते कुछ महीनों में कई जानवरों को लाया गया है। दिल्ली के चिड़ियाघर में मौजूदा समय में 96 जानवरों की प्रजातियां हैं, जिनमें करीब 1200 जानवर शामिल है। मास्टर प्लान के तहत आगामी 10 वर्षों में 236 जानवरों की प्रजातियों को जोड़ने का लक्ष्य बनाया गया है।

चिड़ियाघर में जल्द ही 4 प्रजातियों को और लाया जाएगा और 100 प्रजातियों के लक्ष्य को प्राप्त किया जाएगा। साथ ही चिड़ियाघर में पहली बार ढोल (जंगली कुत्ता) और स्टार प्रजाति का कछुआ भी पहुंचा है। इससे पहले 23 सितंबर को चंडीगढ़ चिड़ियाघर से शुतुरमुर्ग लाया गया था। इसके अलावा जूनागढ़ से तीन शेर, एक कछुआ और एक चौसिंघा भी पहुंचा था। वहीं, पांच अक्तूबर को दो मादा बाघिन व दो भालू भी लाए गए थे। पिछले करीब 6 महीनों में दिल्ली चिड़ियाघर में 14 नई प्रजातियां और 37 वन्यजीव आ चुके हैं। दिल्ली चिड़ियाघर में एक प्राइमेट पार्क भी लगभग त्यार किया जा चुका है जिसमें एक ही जगह पर 5 तरह के प्राइमेट जिनमें बोनट, बबून, लंगूर और रीसस मकाक जानवरों को एक ही जगह पर दिखाना चाहते हैं।

दरअसल पर्यटक चिड़ियाघर में मोजूदा वक्त में एक ही तरह की प्रजातियों को देखने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है। चिड़ियाघर प्रशासन इनमें बदलाव कर एक ही जगहों पर एक जैसी प्रजातियों को दिखाना चाहता है। इस प्लान के तहत यदि कोई पर्यटक मांसाहारी जानवरों को देखना चाहता है तो उन्हें एक ही जगह पर मांसाहारी जानवर देख सकेंगे। कोई पर्यटक पक्षियों की सभी प्रजातियों को देखना चाहेगा, तो वह भी संभव हो सकेगा। हालांकि चिड़ियाघर में इस तरह के बदलाव करने में वक्त लगेगा क्योंकि फेरबदल इतनी आसानी से नहीं हो सकता है। चिड़ियाघर प्रशासन के लिए भी यह आसान नहीं होगा। इस वर्ष में इसकी शुरूआती चरण पर काम होना शुरू हो जाएगा, लेकिन पूरी तरह से चिड़ियाघर का नक्शा 2032 तक बदलने की उम्मीद हैं।

दिल्ली चिड़ियाघर की जॉइंट डायरेक्टर अनामिका नरवाल ने बताया, दिल्ली चिड़ियाघर की अपनी एक दुनिया है। हाल के दिनों में चिड़ियाघर ने अपने संग्रह में कई नई प्रजातियों को जोड़ा है। चिड़ियाघर में ढोले (जंगली कुत्ता), स्टार कछुआ, लकड़बग्घा और अन्य जैसे कई नए जोड़े हैं। इनके अलावा, चिड़ियाघर सक्रिय रूप से आगंतुकों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। चिड़ियाघर के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए चिड़ियाघर ने अशोक विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय, टर्टल सर्वाइवल एलायंस आदि जैसे विभिन्न संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन भी किया है। इससे पहले क्रिसमस और नए साल के मौके पर जानवरों को दावत खिलाने एक विशेष अभियान चलाया गया, इसके तहत आम दिनों के मुकाबले दिए जाने वाले भोजन में बदलाव किया गया और विशेष भोजन दिया गया।

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