पिता बेचते थे फल, बेटे ने बना दिया 300 करोड़ का फर्म

रघुनंदन एस कामत नेचुरल आइसक्रीम कंपनी के संस्थापक हैं। रघुनंदन कामत का जन्म कर्नाटक के पुत्तुर में मुलकी नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। रघुनंदन कामत के पिता फल और सूखे पेड़ बेचते थे, जिससे उनके परिवार का भरणपोषण होता था। कामत 7 भाई-बहन थे और महीने की आमदनी सिर्फ 100 रुपये थी, इसमें मुश्किल से परिवार का भरण पोषण होता था।

कर्नाटक के पुत्तुर तालुका में मुलकी गांव से ताल्लुक रखने वाले रघुनंदन का बचपन काफी गरीबी में बीता। उनके पिता फल बेचते थे जिस वजह से कामत को फलों का स्वाद बचपन से ही आकर्षित करता था। गरीबी की मार झेल चुके कामत के भाई मुंबई में गोकुल नाम से फूड इटरी चलाते थे। रघुनंद थोड़े बड़े हुए तो साल 1966 में वह भी भाइयों के पास कामकाज करने मुंबई पहुंच गए।

​नेचुरल आइसक्रीम की स्थापना- भाइयों के साथ ढाबे में रघुनंदन ग्राहकों को आइसक्रीम भी देते थे, लेकिन वे आइसक्रीम में अपनी एक पहचान कायम करना चाहते थे। साल 1983 में कामत की शादी हुई और इसके बाद उन्होंने आइसक्रीम का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। आइसक्रीम तब एक क्लासी आइटम थी और बाजार में पहले से ही स्थापित ब्रांड भी थे। रघु कामत ने जोखिम उठाकर सिर्फ आइसक्रीम का ही काम करने का फैसला किया।

पाव भाजी के साथ बेची आइसक्रीम- 14 फरवरी 1984 को कामत ने मुंबई में Naturals Ice Cream Mumbai नाम से पहला आउटलेट शुरू किया। उन्होंने नेचुरल आइसक्रीम का पहला आउटलेट जुहू में खोला। शुरुआत में सिर्फ आइसक्रीम खाने लोग नेचुरल में नहीं आ रहे थे तो कामत ने इसके साथ पाव भाजी भी बेचना शुरू कर दिया। गर्म मसालेदार पाव भाजी के बाद लोगों को ठंडे और मीठे आइटम की तलब होने पर कामत उन्हें आइसक्रीम परोसते थे।

नेचुरल के कई आइसक्रीम- कामत ने ग्राहकों का भरोसा जीतने के लिए केवल फल, दूध और चीन से आइसक्रीम तैयार किया, इसमें कोई मिलावट नहीं की गई। नेचुरल तरीके से तैयार आइसक्रीम आज भी कामत की कंपनी की यूएसपी है। आम, चॉकलेट, सीताफल, काजूद्राक्ष और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों से शुरू में सिर्फ 5 फ्लेवर की आइसक्रीम लॉन्च की गई थी। जब ग्राहकों को नेचुरल के आइसक्रीम पसंद आने लगे तो एक साल में ही कामत ने निवेश से ज्यादा कमाई कर ली।

ग्राहकों का जीता भरोसा- साल साल 1985 में कामत ने फिर से रिस्क लिया। कामत ने पावभाजी बेचन बंद कर दिया। नेचुरल के आइसक्रीम पार्लर पर तब भी लोग आ रहे थे, क्योंकि कामत अपने स्वाद की वजह से पहचान बना चुके थे। मार्केट में बढ़ती प्रतियोगिता की वजह से कामत अपने पैर ज्यादा नहीं पसार पा रहे थे। इस वक्त भी कामत अपने ग्राहकों से बात करते, आइसक्रीम के फ्लेवर के बीच कुछ लोग उन्हें विदेशों के आइसक्रीम और उसके फ्लेवर के बारे में बताते थे।

नेचुरल के बुके में कई नए फल आये- ग्राहकों से मिली सलाह के बाद रघुनंदन कामत ने आइसक्रीम फ्लेवर को एक्सप्लोर किया और कटहल, कच्चा नारियल और काला जामुन को भी जोड़ लिया। इस तरह अब कामत 8 फ्लेवर की आइसक्रीम बनाने लगे। इन फलों की प्रोसेसिंग उस समय काफी मुश्किल थी, लेकिन रघुनंदन चुनौतियों से ज्यादा अपनी सफलता को लेकर फोकस कर रहे थे।

नेचुरल आइसक्रीम के लिए बनाई मशीन- कामत ने फलों की प्रोसेसिंग को लेकर खुद स्पेशल मशीन बनवाई। अपनी जरूरत के हिसाब से उसे डिजाइन किया और उसे बनवाया। फल की प्रोसेसिंग के लिए मशीन के आने से उत्पादन बढ़ गया। नेचुरल कंपनी के आउटलेट भी बढ़ने लगे। इस तरह मुंबई के जुहू से शुरू नेचुरल का सफर पूरे देश में फैल गया। इसके बाद देश के सभी प्रमुख राज्य के बड़े जिले में नेचुरल के आउटेलट खुलने लगे।

दिल्ली में नेचुरल के होंगे 100 स्टोर- कामत की कंपनी नेचुरल का कहना है कि आज देश में उनके 135 आउटलेट हैं। दिल्ली में कंपनी 100 स्टोर शुरू करना चाहती है। नेचुरल्स आइसक्रीम 5 फ्लेवर से शुरू सफर को अभी तक 20 फ्लेवर पर पहुंचा चुका है। आज नेचुरल्स का 300 करोड़ का कारोबार हो गया है और नैचुरल आइसक्रीम की अपनी पहचान बनी है। नेचुरल आइसक्रीम के संस्थापक कामत ने कहा कि अगर आपका ग्राहक खुश है तो कंपनी के कारोबार में मुनाफा होना तय है। नेचुरल आइसक्रीम के सभी आउटलेट पर ग्राहकों को खुश रखना नेचुरल की सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है।

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