नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पहले दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शन के बवाल और उसके बाद मंगलवार को दिल्ली के सीलमपुर और जाफराबाद में प्रदर्शन अचानक उग्र होने से बिगड़े हालातों के बीच दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि विरोध करना भारत के लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन इस कानून से भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है।
उन्होंने यहां कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के बीच अंतर है। एक सीएए है जो एक कानून बन गया है और दूसरा एनआरसी है जिसकी केवल घोषणा की गई है, यह एक कानून नहीं है। सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी। इसलिए इस संशोधित कानून का भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। जबकि वहीं वहीं पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम का बयान आया है। नागरिकता संशोधन कानून पर पी चिदंबरम ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि जो पहले से ही पाकिस्तान के नागरिक हैं, उन्हें नागरिकता क्यों देनी चाहिए? गौरतलब है कि नागरिकता कानून पर लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है, जिस पर आज सुनवाई भी होनी है। गौरतलब है कि जब से संसद की दोनों सदनों ने नागरिकता संशोधन बिल पर मुहर लगाई है और राष्ट्रपति ने इसे कानूनी अमलीजामा पहनाया है, तब से इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। इस कानून के खिलाफ में रविवार को सबसे उग्र प्रदर्शन देखने को मिला था, जब जामिया के छात्रों के साथ पुलिस की झड़प हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। वहीं मंगलवार को दिल्ली के सीलमपुर में भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प देखने को मिली।
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