रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम में भी छिपा है विज्ञान-डॉ. बोथले

बिलासपुर । गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में डॉ. विक्रम साराभाई जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर दो दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी का समापन मंगलवार को किया गया। समापन समारोह को संबोधित करते हुए नासा हैदराबाद की जीएम डॉ. राजश्री बोथले सीधे छात्रों से मुखातिब हुईं। उन्होंने छात्रों को पे्ररित करते हुए कहा कि इसे सिर्फ एक अंतरिक्ष विज्ञान प्रदर्शनी या सैटेलाइट फैंटेसी फिल्म नहीं समझें बल्कि जीवन की छोटी से छोटी व रोजमर्रा के काम में जो विज्ञान छिपा है। उसे समझने की कोशिश करें। इसके लिए जूझें, शिक्षक, पड़ोसी, मित्रों से जानने की कोशिश करें। सवाल जब मन की गहराइयों में उतर जाए और जवाब के लिए मन व्याकुल होने लगे तो ही समझें कि सब कुछ सही हो रहा है। छात्र होने की यही सबब है। उत्सुकता बनाए रखें। उन्होंने कहा कि इसरो के साथी डा. साराभाई की जन्मशती मनाने के लिए देश भ्रमण पर निकले हैं। उनके जीवन के बारे में आमजनों को परिचित कराना तो लक्ष्य है ही। पर इस बात पर अधिक जोर है कि जिस तरह साराभाई को बचपन में ही चांद देखकर मन में जिज्ञासा हुई कि क्या इसे छू सकते हैं, वहां जा सकते हैं। आज परिणाम आपके सामने है। उनकी जन्मशती के अवसर पर ही किसी भारतीय के कदम चांद की सरजमी पर जल्द ही पडऩे वाले हैं। अंतरिक्ष इतना विचित्र व रहस्यों से भरा है कि इसे आप सब मिलकर जानने का प्रयास करेंगे तो ही जानना संभव हो पाएगा।
विजेता छात्रों को मिला इसरो पुरस्कार
सीयू ने इसरो के जनक विक्रम साराभाई की जन्म शताब्दी अवसर पर परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान समेत कई विषयों पर वाद-विवाद व प्रश्रोत्तरी समेत रंगोली व चित्रकला प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। इन प्रतियोगिताओं में स्कूली बच्चों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन दो समूहों के बीच किया गया। इसमें कक्षा छठवीं से सातवीं तक व आठवीं से दसवीं के छात्रों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में 21 स्कूलों के 68 छात्रों ने भाग लिया। क्विज प्रतियोगिता में कक्षा ६ से सेंट फ्रांसिस स्कूल के सत्यम सिंह को प्रथम स्थान मिला। दूसरे स्थान पर ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल के मीमांशा अग्रवाल व तीसरे स्थान पर एसलीआईटी के वंदांत शर्मा रहे। चित्रकला प्रतियोगिता में १८ स्कूलों के ६५ छात्रों ने भाग लिया। पहला स्थान हर्ष रजक कोमिला व दूसरे स्थान पर अंशिका धीवर व विपुल उथरा व तीसरे स्थान पर श्रेयांश सूर्यवंशी वैष्णवी यादव रहे। रंगोली प्रतियोगिता में झरना पोर्ते को प्रथम, ज्योतेंद्र शर्मा को दूसरा व तीसरा स्थान रिया रार्पातवार को मिला।
सुरक्षा का जिम्मा पूर्व छात्र परिषद के सदस्यों ने संभाला
विज्ञान प्रदर्शनी की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा सीयू के पूर्व छात्र परिषद के सदस्यों व स्टूडेंट को-आर्डिनेटरों ने संभाला। दो दिनों तक चले इस प्रदर्शनी को सफल व बाधारहित बनाने में पूर्व अध्यक्ष उदयन शर्मा, आराध्या तिवारी, सौरनाव जाना, धनेंद्र बंजारे, शुभम पाठक समेत पूरी टीम सुबह १० से शाम ६ बजे तक मुस्तैद रही। ।
ए जर्नी टू अंटार्कटिका पर व्याख्यान
डॉ. बाथले ने इसरो द्वारा आयोजित ए जर्नी टू अंटार्कटिका पर व्याख्यान दिया और अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं के साथ अपने यात्रा के अनुभवों को पावर प्वाइंट के माध्यम से दिखाया। उन्होंने कहा कि अंटार्कटिका में तापमान माइनस 10 डिग्री से माइनस 60 डिग्री तक होता है। हवा के न चलने पर यहां का तापमान माइनस 89 डिग्री तक रहता है। साथ ही हवा चलने पर महसूस होने वाला तापमान इससे कहीं अधिक महसूस होता है। ऐसा विंड चिल इफेक्ट के कारण होता है। अंटार्कटिका की भारत से दूरी लगभग 12 हजार किलोमीटर की है। यह अमेरिका से 965 किलोमीटर, ऑस्ट्रेलिया से दो हजार पांच सौ किलोमीटर व साउथ अफ्रीका से चार हजार किलोमीटर की दूरी पर है। यहां तीन सौ किलोमीटर की रफ्तार के साथ हवाएं चलती हैं। इस कॉन्टिनेंट की समुद्र तल से औसत ऊंचाई लगभग 2300 मीटर है। उन्होंने बताया कि यदि अंटार्कटिका की सारी बर्फ पिघल जाए तो सुमद्र के जलस्तर में 56 मीटर का इजाफा हो जाएगा इससे समझा जा सकता है कि इस क्षेत्र में कितनी मात्रा में बर्फ मौजूद है। डॉ. बाथले ने बताया कि अंटार्कटिका में दक्षिण गंगोत्री की स्थापना 1983 में की गई जो एक शीट आईसबर्ग पर बनाया गया था। परंतु तकनीकी परेशानियों को दूर करते हुए दूसरे स्टेशन मैत्री का स्थपना वर्ष 1988-89 में की गई, जो समुद्र तल से 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस स्थान का नाम सिरमाचर ओएसिस है। यहां 20-25 झीलें मौजूद हैं। इसके पश्चात तीसरे स्टेशन भारती की स्थपना गोंडवाना लैंड इलाके में समुद्र तट के नजदीक की गई। ताकि माल वाहक जहाजों को सामान पहुंचाने में परेशानी का सामना न करना पड़े। स्टेशन मैत्री और स्टेशन भारती के बीच की दूरी तीन हजार किलोमीटर है। यह स्टेशन 2012 से कार्य कर रहा है और काफी मॉर्डन है। साराभाई जन्मशती के समापन अवसर पर कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता, कुलसचिव समेत विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, इसरो के वैज्ञानिक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सदस्यों के साथ बडी संख्या में छात्र-छात्राएं व विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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