कोरोना संक्रमण की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के चलते मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल और निर्देशन पर छत्तीसगढ़ राज्य में दूसरे राज्यों के प्रवासी श्रमिकों और जरूरतमंदों की मदद के लिए जगह-जगह पर राहत शिविर लगाए गए हैं। इन राहत शिविरों में देश के विभिन्न प्रांतों के श्रमिक सपरिवार ठहरे हुए है। श्रमिकों के साथ उनके बच्चे भी इन शिविरों में रह रहे हैं। श्री बघेल ने दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ आए प्रवासी श्रमिकों को छत्तीसगढ़ का मेहमान कहा है और उनके रहने, खाने और चिकित्सा की व्यवस्था के निर्देश प्रशासन को दिए हैं। प्रवासी श्रमिकों के साथ-साथ उनके बच्चों की सुविधाओं का भी राहत शिविरों में ध्यान रखा जा रहा है। खाली समय में बच्चों के लिए इन राहत कैम्पों में खेल-कूद और अन्य रचनात्मक गतिविधियों के साथ ही उनकी शिक्षा की अभिनव पहल छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती जिले सरगुजा के बिशुनपुर सामुदायिक भवन स्थित राहत शिविर में देखने को मिली।
यहां जिला प्रशासन सरगुजा ने विधिवत मिनी शाला लगाकर 14 बच्चों के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था की है। यहां पर यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इन बच्चों को पढ़ाने और ड्राईंग-पेंटिंग सिखाने का कार्य जिला प्रशासन के सहयोग से शिविर में रह रहे युवा श्री सतेन्द्र ऋषि द्वारा किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अंबिकापुर नगर के बिशुनपुर, प्रतीक्षा बस स्टैण्ड तथा सरगवां हॉस्टल में लगाए गए राहत कैम्पों में मध्यप्रदेश, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा के कुल 108 श्रमिक एवं अन्य लोग ठहरे हुए है। उनके साथ शिविरों में बच्चे भी रह रहे है। शिविरों में रह रहे श्रमिकों के लिए जिला प्रशासन द्वारा निःशुल्क नास्ता, भोजन एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके बच्चों के समय का सदुपयोग एवं उनके शिक्षा के लिए मिनी शाला लगाकर अध्ययन-अध्यापन की सराहनीय व्यवस्था भी की गई है। मिनी शाला के संचालन में शिविर में रह रहे शिक्षित युवा भी बराबर के सहभागी बने हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा ब्लैक बोर्ड, चाक, पेंसिल, किताब तथा खेल सामग्री, बैट, बाल, फिसल पट्टी आदि की व्यवस्था की गई है। शिविरों में ठहरे लोगों के मनोरंजन के लिए टी.व्ही. एवं कैरम बोर्ड की व्यवस्था की गई है।