उपद्रवियों की भीड़ में घिर पुलिसवाले, तिरंगा लहराकर युवकों ने बचाई जान

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हिंसा के दौरान कर्नाटक के मेंगलूरू में दो और लखनऊ में एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हो चुकी है। जगह-जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें भी हुई है।
हालांकि, हिंसक भीड़ में ही कुछ ऐसे युवा भी थे, जिन्होंने पुलिसवालों को उपद्रवियों से बचाया। ईंट और पत्थरों की बरसात के बीच ये युवा पुलिसवालों के ढाल बन गए। खास बात यह है कि ये युवा भी नागरिकता संशोधन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा थे।
अहमदाबाद के शाह-ए-आलम इलाके में गुरुवार को प्रदर्शनकारियों की भीड़ हिंसा कर रही थी। बड़े-बड़े ईंट और पत्थरों से पुलिसवालों पर हमला कर रही थी। उपद्रवियों की भीड़ जैसे पुलिसवालों की जान लेने पर आमादा थी।
इसी भीड़ से बचने की कोशिश कर रहा एक पुलिसकर्मी लड़खड़ा गिर गया तो भीड़ उस पर बेरहमी से टूट पड़ी। जिसके बाद शाह-ए-आलम इलाके में भीड़ से ही सात युवक खुद को जोखिम में डालकर पुलिसवालों को बचाने के लिए सामने आए। लोग इन युवकों की तारीफ कर रहे हैं।
दरअसल, इन सबकी शुरुआत तब हुई जब लेफ्ट पार्टियों ने ‘गुजरात बंद’ का आह्वान किया। जिसके बाद हजारों प्रदर्शनकारियों की भीड़ शाह-ए-आलम इलाके में सड़कों पर उतर आए। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जिसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई। नाराज भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों को रोक दिया और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।
इसी बीच चार पुलिसकर्मी एक कोने में फंस गए। सामने हिंसक भीड़ थी, पीछे और दोनों तरफ दीवार थी, जिस कारण वह बाहर नहीं निकल पा रहे थे। भीड़ लगातार उनकी तरफ पत्थर फेंक रही थी। एक पुलिसकर्मी तो प्लास्टिक की कुर्सी से खुद को बचा रहा था। कुर्सी में छेद भी हो गई।
अचानक एक युवक इन चारों पुलिसकर्मियों के लिए फरिश्ते की तरह प्रकट होता है। भीड़ से निकलकर वह युवा पुलिसवालों की तरफ पहुंचे और हाथ लहराकर वह भीड़ से पत्थरबाजी रोकने को कहने लगे। लेकिन इसके बाद भी पत्थर चलते रहे।
पत्थरबाजी के बीच ही छह और युवा पुलिसवालों की ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। एक युवा एक बेंच के जरिए पुलिसवालों को बचा रहा है। एक दूसरे युवा के हाथ में तिरंगा दिख रहा है और वह भीड़ को रुकने के लिए बार-बार कह रहा है। आखिरकार मानवता की जीत होती है और ये सात युवक ने पुलिसवालों को सुरक्षित भीड़ के चंगुल से बाहर निकालते हैं।

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