हॉफ वे होम से ठीक हुए लोगों का किया जा रहा पुनर्वास
कोण्डागांव.मानसिक व्याधियां वे विकार हैं जिनके होने पर मानव का उसके मस्तिष्क पर कोई नियंत्रण नहीं रह पाता है। वे बेसुध होकर सड़कों पर कटे-फटे कपड़ों, जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में एक स्थान से दूसरे स्थान तक घुमते रहते हैं। जिसपर आम लोगों द्वारा कभी इन्हें पत्थरों से मारा जाता है तो कभी डण्डों से पीटा जाता है। ऐसे मानसिक रोगियों के लिए परिवार भी इन्हें घर पर रोके रखने में असक्षम होता है। अधिकतर गरीबी एवं पैसों की कमी के चलते परिजन उनका उचित उपचार नहीं करा पाते हैं। ऐसे में जिले के मानसिक रोगियों की स्थिति को देखते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा मरीजों के उचित उपचार एवं देखभाल हेतु हॉफ वे होम की स्थापना की गई है। इस हॉफ वे होम के संचालन का जिम्मा मानसिक रोग के प्रति पूर्व से जिले में प्रयासरत् कोण्डागांव की स्वयं सेवी संस्था शांति फाउण्डेशन को प्रदान किया गया है।
स्वयं सेवी संस्था शांति फाउण्डेशन
इस संबंध में हॉफ वे होम के संचालक यतिन्द्र सलाम ने बताया कि इस केन्द्र में ना सिर्फ जिले अपितु आस-पास के जिलों में भी रहने वाले ऐसे मानसिक रोगियों जिन्हें सहायता की आवश्यकता है उन्हें लाकर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है। वर्तमान में यहां 30 मानसिक रोगियों को रखा गया है। इस सभी लोगों को सड़कों से तो किसी को कचरों से उठाकर उनकी उचित देखभाल हेतु साफ-सफाई एवं अन्य कार्य कर उनके कटे-फटे वस्त्रों की जगह उन्हें नवीन वस्त्र प्रदान कर जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञों के माध्यम से जांच करवाकर डॉक्टरी सलाह पर आवश्यक होने पर मरीजों को उच्च स्तरीय चिकित्सा के लिए बिलासपुर के सेंद्री स्थित मनोरोग चिकित्सालय में भेजा जाता है। उपचार के बाद भी मरीजों को हॉफ वे होम में रखकर मानसिक स्थिति की स्थिरता की निश्चिंतता होने तक उनपर निगरानी रखकर उनके पुनर्वास हेतु उन्हें अपने घरों तक पहुंचाया जाता है या ऐसे मरीज जिनका कोई न हो उनके लिए रोजगार परख प्रशिक्षण देकर उनका समाजीकरण किया जाता है। अभी तक 24 लोगों को उच्च स्तरीय ईलाज हेतु बिलासपुर भेजा गया है। जबकि 10 लोगों का पुनर्वास किया गया है।
इस संबंध में समाज कल्याण विभाग की उप संचालक ललिता लकड़ा ने बताया कि संवेदना कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों को नया जीवन प्राप्त हो रहा है। ऐसे लोग जो अपना अस्तित्व तक खो चुके थे उन्हें समाजीकरण के द्वारा मुख्यधारा में जोड़ा जा रहा है। जिसके तहत् 12 फरवरी को जिले के 03 पुरूष एवं 02 महिलाओं को उच्च स्तरीय ईलाज हेतु भेजा गया है जबकि 10 पूर्ण रूप से ठीक हुए लोगों को वापस लाकर पुनर्वास केन्द्र में रखकर उनकी डॉक्टरी जांच कराई जा रही है। पूर्ण रूप से ठीक होने पर इन्हें इनके परिवारों के पास भेज दिया जायेगा। पूर्ण रूप से ठीक ना होने तक इन्हें मुफ्त दवाईयां प्रदान की जाती है।
जख्मी हालत में कबीरधाम में मिले व्यक्ति का कराया गया उपचार
हॉफ वे होम संचालकों ने बताया कि दो माह पूर्व कबीरधाम में जिला अस्पताल के सामने एक मानसिक व्याधियों से पीड़ित व्यक्ति के घायल अवस्था में पड़े होने के संबंध में जानकारी मिलने पर संस्था के गौरव ठाकुर, धनसु मानिकपुरी एवं अमरनाथ परमानिक द्वारा कबीरधाम पहुंच मरीज से सम्पर्क कर पाया की उसके पैरों पर से वाहन गुजर जाने से वह गंभीर रूप से घायल था। उसे पुनर्वास केन्द्र लाकर ईलाज उपरांत बम्हनी स्थित घर लेजाकर उसके परिवार से मिलाया गया।
सड़कों पर घुम रही महिला को ईलाज उपरांत पहुंचाया घर
इसी तरह केशकाल के समीप सड़कों पर रात के वक्त एक पागल महिला के घुमने के संबंध में जानकारी मिलने पर संस्था द्वारा महिला को तुरंत वहां से केन्द्र लाया गया था। उस वक्त महिला के कपड़े फटे, शरीर में कई निशान एवं बालों में कीड़े लगे हुए थे। जिसका पुनर्वास केन्द्र लाकर सफाई उपरांत चिकित्सक की सलाह पर उच्च स्तरीय ईलाज हेतु बिलासपुर भेजा गया था। एक वर्ष पश्चात् ठीक होने पर महिला को वापस हॉफ वे होम लाया गया। जहां आने पर महिला द्वारा पण्डातराई कवर्धा में अपने घर की जानकारी दी गई। जिसके पश्चात् केन्द्र के संचालकों द्वारा उन्हें कवर्धा ले जाकर उनके परिवार से मिलाया गया। जहां कई वर्षों बाद महिला को स्वस्थ अपने बीच पाकर परिवार न सिर्फ अचंभीत था उससे ज्यादा सभी खुश थे और जिला प्रशासन तथा हॉफ वे होम के संचालकों का धन्यवाद देते नहीं थक रहे थे। उनके परिजनों ने बताया कि वो विगत कई वर्षों से लापता थी जिससे वे बच्चों की मां को पुनः देखने की आशा खो चुके थे। ऐसे में पुनः अपनी मां को पाकर बच्चों एवं उनकी मां दोनों की आंखें नम हो गई थी।