नई दिल्ली। कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन को बड़े सख्त तरीके से लागू किया। कर्फ्यू की तरह लॉक डाउन को लागू किया गया। लगभग 40 दिनों तक भारत की जनता घरों में कैद रही। जिसके कारण कोरोनावायरस संक्रमण की चेन यहां पर ऐसी नहीं बन पाई, जैसे अमेरिका और यूरोप के देशों में बन गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमत्कारी छवि से आज सारी दुनिया प्रभावित है। भारत का विश्व गुरु बनने का सपना भी यहीं से शुरू होता है। भारत ने कोरोनावायरस के संक्रमण का मुकाबला करने के लिए जिस तरह से आयुर्वेदिक काढ़ा, फिजिकल डिस्टेंस, मलेरिया की दवा जैसे सीमित संसाधनों में अभी 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में कोरोनावायरस की लड़ाई जीती है। उससे भारत की छवि सारी दुनिया के देशों में एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आई है।
जनता के सहयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस की संक्रमण की चैन को तोड़ने में असाधारण सफलता हासिल की है। किंतु भारतीय अर्थव्यवस्था का जो चेन सिस्टम था। वह 40 दिन के लाकडाउन में पूरी तरह से टूट रहा है। मार्च-अप्रैल और मई माह में भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित होती है। इसी अर्थव्यवस्था से देश की औद्योगिक और सर्विस सेक्टर की अर्थव्यवस्था बनती है। पिछले दो माह में भारत का आर्थिक पक्ष बड़ी तेजी के साथ गड़बड़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी यदि अर्थव्यवस्था की चेन को बनाए रख पाने में सफल हुए, तो सारी दुनिया में भारत का शंखनाद होगा। भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक पाएगा।
भारत ने अपने दम पर अभी तक कोरोनावायरस के इस संक्रमण का मुकाबला कर इसे फैलने से रोका है। इसके विपरीत यूरोप के देश कोरोना और आर्थिक संकट दोनों ही मोर्चे पर लड़ रहे हैं। अभी तक की जो स्थिति है, उसमें सारी दुनिया के सामने भारत का पलड़ा भारी है। यूरोपीय और इस्लामिक देश आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। वहीं भारत अभी भी अपने पैरों पर खड़ा हुआ है। विकसित राष्ट्र एवं इस्लामिक राष्ट्र जो तेल की कमाई से सारी दुनिया में अपनी धन्ना सेठी के लिए जाने जाते थे। कोरोना संक्रमण ने उन्हें अर्श से फर्श पर लाकर खड़ा कर दिया है।