जयपुर। राजस्थान में आज पुलिस के सहयोग से मिलिट्री इंटेलीजेंस टीम को आज बहुत बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। आर्मी की इंटेलीजेंस टीम ने खुफिया जानकारी मिलने के बाद राजस्थान पुलिस की सहायता से जयपुर में आज पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े दो खूंखार जासूसों को गिरफ्तार करने में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। सूत्रों के अनुसार आईएसआई जासूस चिमनलाल और विकास कुमार काफी दिनों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारत की सैन्य ताकत के साथ ही साथ देश के कई खुफिया अहम ठिकानों की गोपनीय जानकारियों को चोरी चुपके पाकिस्तान भेज रहे थे। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मिलिट्री इंटेलीजेंस को इन दोनों आईएसआई एजेंटों की खुफिया जानकारी काफी पहले लग गई थी, जिस पर मिलिट्री इंटेलीजेंस के अधिकारियों की टीम ने काफी दिनों से पैनी नजर बनाए हुए थी। उन्हें रंगे हाथों पकड़ने के लिए राजस्थान पुलिस के साथ मिलकर जाल बिछाया गया था, जिसमें आज यह दोनों आईएसआई के खासम खास जासूस मिलिट्री इंटेलीजेंस के हत्थे चढ़ गए हैं। सूत्रों के अनुसार शुरुआती पूछताछ के दौरान दोनों जासूस चिमनलाल और विकास कुमार ने मिलिट्री इंटेलीजेंस के अधिकारियों को बताया है कि उनका हैंडलर पाकिस्तान के मुल्तान में है , जहां वे भारतीय सेना से जुड़ी अहम गोपनीय जानकारियों के साथ कई और अहम ठिकानों की गोपनीय जानकारियां भी मुल्तान में बैठे हैंडलर को भेज चुके हैं। यह दोनों आईएसआई जासूस फेसबुक प्रोफाइल के जरिए मुल्तान के हैंडलर को भारत की खुफिया जानकारी अक्सर भेजा करते थे। सूत्रों से पता चला है कि पकड़ा गया आईएसआई जासूस चिमनलाल आर्मी डिपो में कांट्रेक्टर का काम भी कर रहा था, जिस पर शक होते ही मिलिट्री इंटेलीजेंस ने इस पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी थी। आईएसआई जासूस चिमनलाल और विकास कुमार दोनों ही राजस्थान के गंगानगर इलाके में पिछले साल अगस्त माह से जासूसी कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि अब आगे की पूछताछ के दौरान दोनों आईएसआई एजेंटों से कई और अहम जानकारियों के राज खुल सकते हैं। गौरतलब है कि इसके पहले दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में भी दो पाकिस्तानी अफसर जासूसी के केस में हिरासत में लिए गए थे, जिन्हें तत्काल वापस पाकिस्तान भेज दिया गया था। गौरतलब है कि वियना संधि होने के कारण पाकिस्तानी उच्चायोग के इन दोनों जासूस अफसरों को कानूनन गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था, जिस कारण इन्हें वापस उनके देश भेज दिया गया था। इसको लेकर पाकिस्तान की इमरान सरकार ने पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के अफसरों के पीछे जासूस लगा दिए थे, जिसको लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी।