नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत अब ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीडीएमसी) कार्यान्वित कर रहा है ताकि सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्य’म से खेत स्तर पर जल उपयोग की क्षमता बढ़ाया जा सके। ड्रिप सूक्ष्म सिंचाई तकनीक से न केवल जल की बचत करने बल्कि उर्वरक के उपयोग, श्रम खर्च और अन्य कच्चेज माल की लागत को कम करने में भी मदद मिलती है।
चालू वर्ष के लिए 4000 करोड़ रुपये का वार्षिक आवंटन पहले ही हो गया है और राज्य सरकारों को सूचित कर दिया गया है। राज्य सरकारों ने इस कार्यक्रम के तहत कवर किए जाने वाले लाभार्थियों की पहचान कर ली है। वर्ष 2020–21 के लिए कुछ राज्यों को फंड जारी करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। इसके अलावा नाबार्ड के साथ मिलकर 5000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है। इस कोष का उद्देश्य राज्यों को विशेष सिंचाई और अभिनव परियोजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई की कवरेज के विस्तार के लिए आवश्यदक संसाधन जुटाने में सुविधा प्रदान करना है। इसका एक अन्यस उद्देश्य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पीएमकेएसवाई‑पीडीएमसी के तहत उपलब्ध प्रावधानों से परे सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना है।