कोरोना के संकट ने दिखा दिये असली हालात- बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और हाल में पैदा हुए प्रवासी संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि इस महामारी ने यह दिखा दिया कि संवैधानिक गारंटी के बावजूद सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने वाला समाज अब भी ‘स्वप्न मात्र’ है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश ए ए सैयद की पीठ ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य देखभाल के मौजूदा हालात को देखते हुए ‘कोई भी निकट भविष्य में एक निष्पक्ष समाज के बारे में मुश्किल से ही सोच सकता है.’ पीठ ने कहा कि कोविड-19 संकट और लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और यह दिखाया है कि देश में प्रवासी मजदूरों की हालत कितनी ‘दयनीय’ है. अदालत ने कई व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर शुक्रवार को यह टिप्पणी की. इन याचिकाओं में महाराष्ट्र में कोविड-19 और गैर कोविड-19 मरीजों तथा अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए विभिन्न राहतों का अनुरोध किया गया है. पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को अपना स्वास्थ्य देखभाल बजट और खर्च बढ़ाने पर विचार करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा, ‘कोविड-19 वैश्विक महामारी ने यह दिखा दिया है कि संवैधानिक गारंटी के बावजूद सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने वाला समाज अब भी स्वप्न मात्र है.’ उसने कहा, ‘महामारी और उसके कारण लगाए लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया और उसने दिखाया कि भारत में प्रवासी मजदूरों की कितनी दयनीय स्थिति है और जैसे हालात अब है उसमें कोई निकट भविष्य में एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज की कल्पना भी नहीं कर सकता.’ हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि यह एक अच्छा सबक सीखने और राज्य की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने का वक्त है. वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह, मिहिर देसाई और अंकित कुलकर्णी द्वारा दायर याचिकाओं में पर्याप्त जांच, अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे लोगों के लिए पीपीई किट मुहैया कराने, अस्थायी स्वास्थ्य क्लिनिक बनाने, बेड, स्वास्थ्य ढांचा और कोविड तथा गैर कोविड मरीजों के लिए हेल्पलाइन बनाने की मांग की गई.

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