रूस दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- कम वक्त में रक्षा सौदा पूरा करने के लिए तैयार

मॉस्को। चीन के साथ तनातनी के बीच रूस दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वे अपने दौरे से पूरी तरह संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि उनकी चर्चा पॉजिटिव और प्रोडक्टिव रही। रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें यह आश्वासन मिला है कि पहले से जारी रक्षा कांट्रैक्ट को न सिर्फ बरकरार रखा जाएगा बल्कि उसे जल्द पूरा भी किया जाएगा।
राजनाथ ने कहा, कोविड-19 महामारी के बाद भारत की तरफ से विदेश का मेरा पहला आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का दौरा है। यह भारत और रूस के बीच विशेष संबंध को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मारे गए रूस के जवानों को मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इस युद्ध में लाखों भारतीय जवानों ने भी हिस्सा लिया था और वे शहीद हुए थे।”
इससे पहले, वे रूस के उप-प्रधानमंत्री वाई. इवानोविच बोरिसोव से मॉस्को में मुलाकात की। वहीं, रक्षा सचिव अजय कुमार ने मॉस्को में रूस के डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर कर्नल जनरल अलेक्जेंडर वी. फोमिन से मिले।
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ सैन्य झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी काफी बढ़ गई है। चीन ने भारत से लगते वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने जवान और युद्धक हथियारों को तैनात कर रखा है। इसके जाब में भारत की तरफ से भी एलएसी पर भारी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है।

हालांकि, सोमवार को कमांडर स्तर की बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच पीछे हटने पर सहमति बनी है। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से 500 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए जारी किए जाने और चीन के साथ तनाव चरम पर होने की वजह से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है।

उधर, रूस ने भारत और चीन के बीच दखल से इनकार किया है। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-रूस-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान एक तरफ जहां भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर नॉमिनी का समर्थन किया तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि भारत-चीन विवाद में किसी तीसरे पक्ष की जरूरत है।

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