भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला 120 फीट लंबा सेनरगाड़ पुल महज छह दिन में बनकर तैयार हो गया है। पुल बनने के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 15 से अधिक गांवों सहित सेना की चौकियों में आवाजाही शुरू हो गई है।
सेनरगाड़ पर बना यह पुल 22 जून को एक ट्राला चालक की लापरवाही के चलते टूट गया था। ड्राइवर ने मनमानी करते हुए पोकलैंड लदे ट्राले को पुल पर चढ़ा दिया था। क्षमता से अधिक भार के कारण पुल ट्राला सहित नदी में समा गया था। पुल टूटने से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 15 गांवों सहित सेना की चौकियों का शेष दुनिया से सड़क संपर्क पूरी तरह से कट गया था। भारत-चीन सीमा सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों के मिलम, धापा, लिलम, रेलकोट, साई पोलो, बुई, पातो, जिमिघाट, धापा, कुरी जिमिया, लास्पा, ल्वा सहित 15 से अधिक गांवों को जोड़ने वाला सेनरगाड़ पुल टूटने के महज छह दिन में बनकर तैयार हो गया। यह पुल सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस पुल से होकर चीन सीमा पर स्थित भारतीय चौकियों पर पहुंचा जा सकता है। बीआरओ ने बढ़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इस पुल का निर्माण फिर से कर दिया है। शनिवार को बीआरओ ने पुल का शुभारंभ किया।
इस पुल पर पोकलैंड सहित कई वाहनों की आवाजाही कराई गई। आवाजाही शुरू होते ही स्थानीय लोग खुशी से झूम उठे। उन्होंने बीआरओ के अधिकारियों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे, डीएम पिथौरागढ़ ने बताया कि सेनरगाड़ में क्षतिग्रस्त पुल को तैयार कर लिया गया है। तय समय से पहले पुल बनाने के लिए बीआरओ को बधाई देते हैं। पुल बनने से आपदाकाल में सीमांत के लोगों को राहत पहुंचाने में मदद मिलेगी।