नई दिल्ली । लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य तनाव के बीच भारत सरकार के शीर्ष नीति निर्धारकों में एक बात पर आम राय बनती नजर आ रही है। उनका कहना है कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चीन के साथ बातचीत तो चलती रहनी चाहिए लेकिन अगर जरूरत पड़े तो देश को ड्रैगन के साथ टकराव या लड़ाई के लिए भी पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे गतिरोध को लेकर मोदी सरकार के शीर्ष नीति निर्धारकों के बीच हुए विचार विमर्श में टकराव और लड़ाई जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया। इस चर्चा में शामिल रहे उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा, हम टकराव को बढ़ाना नहीं चाहते हैं लेकिन चीन के सामने झुककर हम समझौता नहीं करेंगे।
चीनी प्रतिक्रिया ने भरोसा नहीं पैदा किया
सरकार का मानना है कि चीन ने हमारे सैनिकों की हत्या की और हालांकि हम उनसे यह अपेक्षा नहीं करते हैं कि वे इस पर दुख जताएं लेकिन भारत को अपने सैनिकों को जिम्मेदार बनाने के लिए कहना पेइचिंग के इरादों को दर्शाता है। यहां तक कि वे (चीन) उस पर भी अमल नहीं कर रहे हैं जिसे वे करने के लिए कह रहे हैं। उनकी अब तक केवल यही प्रतिक्रिया आई है कि भारत की गलती है और सैन्य जमावड़े के लिए भारत जिम्मेदार है। अप्रैल में जब चीन के सैन्य जमावड़े की पहली खबर सामने आई थी, तभी पेट्रोलिंग और निगरानी को बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। अधिकारी ने कहा, बाद में चीन के लगातार सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर भारत की ओर से भी उसी अनुपात में सैन्य जमावड़ा बढ़ाने का निर्देश दिया गया। हमने इसकी जानकारी 19 जून को सभी पार्टियों की बैठक में भी दिया था।