गरियाबंद : मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत मिले पौष्टिक आहार, बिस्कीट, सोया,चिकी एवं देवभोग ‘घी‘ का असर साफ दिखने लगा है। आज से छः माह पहले इस केन्द्र में 1 गंभीर कुपोषित और 2 मध्यम कुपोषित बच्चे दर्ज थे। सतत निगरानी,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा पर्यवेक्षक के मेहनत से तीन माह में ही सभी बच्चे सामान्य श्रेणी में आ गए है। छुरा परियोजना के सेक्टर सोरिद अंतर्गत वंनाचल क्षेत्र में स्थित ग्राम वन लोहझर-02 (करपीदादर) आंगनबाड़ी केंद्र का यह प्रयास रंग लाया है। सेक्टर की पर्यवेक्षक श्रीमती खिलेश्वरी साहू बताती है कि इस केन्द्र में छः माह से तीन वर्ष के कुल 14 बच्चे और तीन से छः वर्ष के कुल 15 बच्चे दर्ज है। इस केंद्र में तीन कुपोषित बच्चों खुमेश कुमार, संजय और राजलक्ष्मी को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में हम सब एक टीम की तरह एक जुट हुए और लगातार इन बच्चों पर केन्द्रित होकर कार्य करते रहे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन के द्वारा बच्चों के घर जाकर लगातार सम्पर्क किया गया एवं बच्चों की देखभाल,साफ-सफाई, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि के बारे में प्रदर्शन और समझाईश दिया गया। जिससे बच्चो के स्वास्थ्य में काफी सुधार देखा गया और वे पूरी तरह कुपोषण से मुक्त हो गए।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के द्वारा शिक्षा भी दिया जा रहा है। इससे उनके शरीरिक और मानसिक विकास होता है। जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत पौष्टिक आहार प्रदाय किया जा रहा है। जिससे कुपोषित बच्चे तेजी से सामान्य हो रहे है। कोविड-19 के कारण बच्चों को उनके घर पर ही पौष्टिक आहार पहुंचा के दिया जा रहा है। साथ ही गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को भी पौष्टिक आहार घरों तक पहुंचाकर दिया जा रहा है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की सार्थकता साबित हो रही है।