जबलपुर. जबलपुर (jabalpur) के नयागांव में तेंदुए (Leopard) की दहशत बरकरार है. वन विभाग (Forest department) अभी तेंदुए की तलाश ही कर रहा है लेकिन स्थानीय लोगों को लगभग रोज कहीं ना कहीं किसी ना किसी लोकेशन पर तेंदुआ दिखाई दे रहा है. कभी वो धूप तापने किसी चट्टान पर बैठता है. कभी कहीं चहलकदमी करता दिख रहा है. नयागांव से लगी पहाड़ी पर वन विभाग ने ट्रैप कैमरा (Trap camera) लगाया है. उसमें भी तेंदुए की तस्वीर कैप्चर हुईे. लेकिन वन विभाग (Forest department)के अधिकारी कह रहे हैं कि तस्वीर की जांच के बाद तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि की जाएगी.
जबलपुर के नयागांव इलाके के लोग काफी समय से इलाके में तेंदुए की मौजूदगी से सहमे हुए हैं. इस इलाके में तेंदुआ आ गया है जो लगातार आसपास घूम रहा है. अब वो सोसायटी के अध्यक्ष रजत भार्गव के घर के नजदीक से गुजरने वाले नाले तक पहंच चुका है. रविवार को वन विभाग ने जिस जगह पर कैमरा लगाया था वहां और उसके आसपास का निरीक्षण किया. वहां एक जगह नर तेंदुए के पगमार्क भी मिले हैं. उसकी तस्वीर भी ट्रैप कैमरे में कैद हुई है. बावजूद इसके वन विभाग के हाथ खाली हैं.
3 महीने से चहलकदमी
तीन महीने से तेंदुए इस इलाके में मौजूद है. लोगों की शिकायत के बाद सोसायटी के अध्यक्ष रजत भार्गव ने 19 दिसंबर को खुद टेलिस्कोप और कैमरे की मदद से तेंदुए की तस्वीर लेकर वन विभाग को सौंपी थी. उसके बाद कान्हा नेशनल पार्क से स्पेशलिस्ट की टीम दो बार आकर पहाड़ी का मुआयना कर चुकी है. नयागांव के आसपास 4 पिंजरे भी लगा दिए गए लेकिन खाली पिंजरों में न तो तेंदुआ फंसा और न ही वन विभाग की टीमों को यह तेंदुआ नजर आया. बहरहाल आलम यह है कि स्थानीय लोगों और वन विभाग के अधिकारी अलग-अलग दावे कर रहे हैं.
डरे हुए हैं लोग
तेंदुए के लगातार मूवमेंट से इलाके के लोग घर से निकलने में डरने लगे हैं. सोसायटी अध्यक्ष का कहना है वन विभाग अधूरे संसाधनों के साथ केवल औपचारिकता निभा रहा है. दावा है कि तेंदुए ने क्षेत्र में घूमने वाले आवारा कुत्तों का शिकार किया है जिससे उनकी संख्या बेहद कम हो गई है. स्थानीय लोगों में डर बना हुआ है. वो शाम होते ही घरों में कैद हो जाते हैं. पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर अब तेंदुआ लोगों के घरों के आसपास चहलकदमी करने लगा है जिससे लोगों को जान का खतरा बना हुआ है.
फेंसिंग से दोनों हो जाएंगे सुरक्षित
बहरहाल वन विभाग के ट्रैप कैमरे में एक तेंदुआ नजर आया है जबकि स्थानीय लोगों का दावा है कि नर-मादा तेंदुए के साथ उनके दो शावक भी पहाड़ी और आसपास के घने जंगल में अपना घर बसा चुके हैं. यदि प्रशासन तेंदुआ नहीं पकड़ पा रहा है तो कम से कम रहवासी क्षेत्र और पहाड़ी के बीच फेंसिंग कर सकता है जिससे दोनों ही सुरक्षित हो जाएं.