मुंबई । अभिनेत्री विद्या बालन को हिन्दी सिनेमा में 15 साल पूरे हो गए हैं। इस पर उन्होंने कहा कि ‘परिणीता’ से लेकर ‘शकुंतला देवी’ तक का उनका सफर बहुत खूबसूरत रहा है और वह इसके लिए शुक्रगुजार हैं कि वह अभिनेत्री बनने के अपने एकमात्र सपने को जी रही हैं। ऐसा नहीं है कि डेढ़ दशक लंबे सफर में उतार-चढ़ाव नहीं आए हैं, लेकिन बालन ने अपना रास्ता खुद बनाया और हिन्दी सिनेमा में ‘द डर्टी पिक्चर’ और ‘कहानी’ के माध्यम से महिलाओं के ‘हीरो’ बनने का ट्रेंड शुरू किया। जूम पर साक्षात्कार में बालन ने बताया कि ‘‘यह बहुत संतोषजनक रहा है। मुझे बहुत खुशी है कि मैं अपना इकलौता सपना जी रही हूं…. अभिनेत्री होने का। जब ‘परिणीता’ शुरू हुई तो, मैंने सोचा अगर मैं सिर्फ एक यही फिल्म करने वाली हूं, तो मैं इस फिल्म को अपना सबकुछ देने वाली हूं। और मेरा रुख हमेशा ऐसा ही रहा है। देखो मैं यहां तक आ गयी।’’ अभिनेत्री ने कहा कि ‘‘हां, कुछ उतार चढ़ाव आए, कुछ चुनौतियां आयीं, कुछ सीख मिली। कभी-कभी लगता था कि मैं अपने करियर के सबसे निचले पायदान पर आ गई हूं, तो कभी लगता है शीर्ष पर हूं। यही इसकी सुन्दरता है और मैं आशा करती हूं कि मेरा पूरा जीवन यहीं गुजरेगा।’’ बता दें कि बालन ने अपने करियर में अलग-अलग महिलाओं के किरदार निभाए हैं, लेकिन सिल्क स्मिता के जीवन की कुछ घटनाओं पर बनी फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ के अलावा उन्होंने अभी तक कोई ‘बायोपिक’ नहीं किया था। अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने बायोपिक के लिए हमेशा इसलिए मना किया क्योंकि वे अच्छे नहीं थे। लेकिन बालन की 31 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म ‘शकुंतला देवी’ भारत की ह्ययूमन कंप्यूटर और उनकी बेटी अनुपमा बनर्जी के जीवन पर आधारित है।