2,000 रुपये के नोट बंद होने से देश में नकली नोट बनाने का धंधा ठप्प

नई दिल्ली । आरबीआई ने कहा है ‎कि 2,000 रुपये के नोट वापस लेने से नकली नोट बनाने का धंधा ठप्प हो रहा है। गौरतलब है ‎कि देश में बड़े मूल्य वर्ग के नकली नोट एक बड़ी समस्या रही है लेकिन इनकी संख्या में अब गिरावट आ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। हालां‎कि 2000 के नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने के बाद ज्यादातर लोगों को लगता है कि आरबीआई के इस कदम से नकली नोटों के काले धंधे पर रोक लगेगी। भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में वित्तीय वर्ष 2022-23 में बैंकिंग सिस्टम द्वारा पकड़े गए 2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या 28% घटकर 9,806 नोट रह गई। हालांकि, इसी अवधि में 500 मूल्यवर्ग के नकली नोटों की संख्या 14.6% बढ़कर 91,110 नग हो गई है। बैंकिंग सेक्टर में पकड़ी गई नकली भारतीय मुद्रा नोटों की कुल संख्या पिछले वित्तीय वर्ष में 2,30,971 नोटों की तुलना में 2022-23 में घटकर 2,25,769 नोट रह गई। इससे पहले 2021-22 में यह संख्या बढ़ गई थी। 2022-23 के लिए आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में 20 रुपये के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में 8.4% की वृद्धि और 500 रुपये (नए डिजाइन) मूल्यवर्ग में 14.4% की वृद्धि पर हुई। दूसरी ओर, 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 रुपये के नकली नोटों में क्रमशः 11.6%, 14.7% और 27.9% की गिरावट आई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए कुल नकली नोटों में से 4.6% की पहचान रिज़र्व बैंक में की गई, जबकि शेष 95.4% की पहचान अन्य बैंकों में की गई। देश में कुल नोटों के सर्कुलेशन में नकली नोटों की हिस्सेदारी सिर्फ 0.00016% है। आरबीआई की इस वार्षिक रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2022-23 के दौरान नोटों की सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर खर्च 4,682.80 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 4,984.80 करोड़ रुपये था। इसके अलावा 2022-23 में गंदे बैंक नोटों का सेटलमेंट 22.1 फीसदी बढ़कर 2,292.64 करोड़ नग हो गया, जो पिछले वर्ष में 1,878.01 करोड़ नग था। रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में ग्रोथ सुस्त हो रही है लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ में वृद्धि जारी रहेगी।

 

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