डॉ. कात्यायनी लद्दाख में आईटीबीपी की डॉक्टर हैं। कहती हैं, ‘कई बार जब वो अपने सैनिक को इंजेक्शन देने के लिए दवाई बाहर निकालती हैं तो वो बर्फ बन चुकी होती है। सरहद पर जब आईटीबीपी के जवान पैट्रोलिंग पर जाते हैं तो उनकी सेहत डॉ. कात्यायनी के जिम्मे होती है। माइनस 50 डिग्री तापमान के बीच जब ये सैनिक फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात होते हैं तो स्नो ब्लाइंडनेस के शिकार हो जाते हैं। घुटने तक बर्फ के बीच घंटों तैनात रहते-रहते इनके पैर जम जाते हैं। जब मोजे बाहर निकालते हैं तो उनकी उंगलियों की पोरें साथ निकल आती हैं।
माइनस 50 डिग्री तापमान में सिर्फ पानी ही नहीं नसों में बहने वाला खून तक जम जाता था। खून अचानक गाढ़ा होने लगता है, जो जानलेवा तक साबित हो सकता है। सिरदर्द भी हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जितना खतरनाक हो सकता है। जब बर्फ और माइनस में तापमान पड़ोसी मुल्क से ज्यादा बड़ा दुश्मन हो, तब वहां उनके लिए न सिर्फ सेहत, बल्कि हौसला जुटाने का काम करती है आईटीबीपी की मेडिकल टीम।