मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हाल ही में असुरक्षित (अनसिक्योर्ड) माने जाने वाले कुछ कर्ज के मानदंडों को कड़ा करना बैंक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के मकसद से सोच-समझकर लिया गया एहतियाती और लक्षित कदम है। आरबीआई गर्वनर दास ने एफआईबीएसी के कार्यक्रम को संबोधित कर कहा कि आरबीआई ने हाउस और वाहन खरीद के अलावा छोटे कारोबारियों द्वारा लिए जाने वाले कर्जों को इससे अलग रखा है। इसकारण उन्हें वृद्धि के मोर्चे पर जो लाभ हो रहा है, उस लाभ को बनाए रखना है। उन्होंने कहा, हमने हाल ही में व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने को ध्यान में रखकर सोच-विचारकर कुछ उपायों की भी घोषणा की है। ये उपाय एहतियाती हैं। ये उपाए सोच-विचारकर और लक्ष्य के हिसाब से किए गए हैं।’’
दास ने कहा कि उन्हें फिलहाल बैंकों में कोई नया दबाव उत्पन्न होता नहीं दिख रहा है, लेकिन वे चाहते हैं कि बैंक सतर्क रहे और दबाव परीक्षण जारी रखे। उन्होंने कहा कि कुछ गैर-बैंक वित्त कंपनियां-सूक्ष्म वित्त संस्थान उच्च ब्याज मार्जिन की सूचना दे रहे हैं। आरबीआई ने उन्हें विवेकपूर्ण तरीके से दरों को निर्धारित करने में लचीला रुख अपनाने को कहा है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि हालांकि हेडलाइन (कुल) मुद्रास्फीति में नरमी के संकेत हैं, पर केंद्रीय बैंक कीमत वृद्धि पर पैनी नजर रखे हुए है।
रुपये का जिक्र कर उन्होंने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड यील्ड के बढ़ने के बावजूद घरेलू मुद्रा में उतार-चढ़ाव कम रहा है और वह व्यवस्थित था। दास ने निरंतर उच्च वृद्धि, मूल्य को टिकाऊ रूप से स्थिर करने और कीमत वृद्धि के झटके को कम करने के लिये कृषि विपणन तथा संबंधित मूल्य श्रृंखलाओं में सुधारों की भी वकालत की।
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