देश में 1991 से अब तक 16 मुजरिमों को मौत की सजा, निर्भया के दोषियों को 22 को होगी फांसी

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप केस में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी कर दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, चारों को 22 जनवरी की सुबह फांसी दे दी जाएगी। देश में बीते करीब तीन दशक के फांसी के इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1991 से अब तक 16 मुजरिमों को फांसी के फंदे पर झुलाया जा चुका है। इनमें 14 साल की नाबालिग के बलात्कारी-हत्यारे धनंजय चटर्जी से लेकर याकूब मेमन और अफजल गुरु तक शामिल हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, अगर सिर्फ बीते 20 साल पर नजर डाली जाए, तो इन दो दशक में 4 लोगों को फांसी के फंदे पर देश में टांगा गया। इनमें से 14 साल की नाबालिग का बलात्कारी और हत्यारा धनंजय चटर्जी भी शामिल था। बाकी तीनों मुजरिम आतंकवाद से जुड़े थे। धनंजय को 14 अगस्त 2001 को अलीपुर जेल कोलकाता में मौत की नींद सुलाया गया था। धनंजय को फांसी के फंदे पर लटकाने में 14 साल का लंबा वक्त लगा था। 5 मार्च 1990 को उस पर एक लड़की का बलात्कार और हत्या का आरोप लगा था, जिसमें उसे दोषी करार दिया गया था।

कसाब और अफजल गुरु को फांसी
इसके बाद मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड अजमल कसाब 21 नवंबर 2012 को फांसी पर पुणे की यरवडा जेल में लटकाया गया। कसाब ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में एक ही जगह पर कई लोगों की हत्या कर दी थी। कसाब पाकिस्तानी मूल का था। उसे फांसी चढ़ाने में करीब 4 साल का वक्त लगा था। अजमल कसाब के बाद फांसी पर चढ़ने का नंबर आया भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु का। 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए हमले का मास्टरमाइंड अफजल ही था। अफजल को फांसी पर लटकाने में 11 साल का वक्त लगा। आखिरकार 9 फरवरी, 2013 को अफजल को फांसी के फंदे पर तिहाड़ जेल में लटका दिया गया।

अफजल गुरु के बाद से तिहाड़ जेल में अभी तक और किसी दूसरे मुजरिम को फांसी नहीं हुई थी। अफजल के बाद अब यह दूसरा मामला है, जिसमें अदालत ने तिहाड़ में बंद निर्भया गैंगरेप और हत्या केस के चारों मुजरिमों को फांसी पर लटकाने की फरमान मंगलवार को जारी किया।

एक साथ चार लोगों को फांसी का हुक्म
तिहाड़ जेल सहित हिंदुस्तान की तमाम जेल के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है जब एक साथ 4 मुजरिमों को फांसी के फंदे पर टांगने का हुक्म हुआ हो। अफजल गुरु के बाद 30 जुलाई, 2015 को नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब मेमन को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। याकूब पर 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों को कराने का आरोप था। याकूब पर फांसी के फंदे पर ले जाने में 22 साल का लंबा वक्त लगा था।

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