मेरठ,उत्तर प्रदेश से तीन दशक से सत्ता से दूर कांग्रेस अच्छे दिन हासिल करने के लिए बेताब है। संगठन को मजबूती देने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी सियासी गुगली फेंकने का कोई मौका नहीं गंवा रही हैं। वह जनता को पार्टी से जोड़ने के लिए अपने तरकश से हर तीर निकाल रही हैं। सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) को लेकर गरम माहौल के बीच प्रियंका लगातार इस मुद्दे को लेकर यूपी में प्रभावितों से मिल रही हैं। उनकी आर्थिक मदद कर रही हैं। यही नहीं उनको साथ खड़े होने का भरोसा दे रही हैं। अब एक कदम आगे बढ़कर प्रियंका ने कहना शुरू कर दिया है कि 2022 में यूपी में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो वह सीएए और एनआरसी लागू नहीं होने देंगी।
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस और प्रियंका की यह कोशिश छिटक गए जनाधार को हासिल करने खासकर मुस्लिमों को रिझाने की है। कांग्रेस का मत है कि अगर मुस्लिम उनके साथ जुड़ गया तब दलित और ब्राह्मण का जुड़ना आसान हो जाएगा। इसीलिए प्रियंका गांधी कानून व्यवस्था से लेकर प्रदेश के हर ज्वलंत मुद्दे पर जातीय बंधन को तोड़कर पहुंच रही हैं। वक्त-वक्त पर वह आवाज उठाने की कोशिश रही हैं। पार्टी नेताओं को जनता से जुड़े मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने का लगातार टारगेट भी सौंप रही हैं।
संगठन को धार देने की भी कोशिशें तेज
कांग्रेस महासचिव ने सांगठनिक ढांचे में बदलाव किया। पहले यूपी की जंबो कमिटी को खत्म कर जुझारू और जोशीले चंद युवाओं के हाथ में यूपी की कमान दी। उसके बाद जिला और शहर अध्यक्ष के पदों पर पचास साल से कम उम्र के नेताओं की ताजपोशी की। प्रदेश उपाध्यक्ष (वेस्ट यूपी प्रभारी) पंकज मलिक का कहना है कि अब जिला और कमिटियों को छोटा कर दिया गया है। शहर कमिटी में 21 और जिला कमिटी में 31 लोग रहेंगे। जनता के मुद्दों को लेकर कैसे लड़ाई लड़नी है, कैसे संगठन को चलाना है इसके लिए जिलाध्यक्षों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
पार्टी लगातार जनता से जुड़ने में जुटी है। इसी के साथ महिलाओं को जोड़ने के लिए हर कमिटी में कम से कम तीन महिलाओं को रखना अनिवार्य कर दिया है। महिलाओं को बराबरी महसूस कराने के लिए पार्टी के कार्यक्रमों के मंचों पर भी हर हाल मे जगह देना अनिवार्य किया है। कांग्रेस की प्रदेश महासचिव शबाना खंडेलवाल के मुताबिक महिलाओं को पार्टी मुख्यधारा में ला रही है। बुजुर्ग नेताओं के अनुभव का फायदा लेने के लिए उनको भी कार्यक्रमों में बुलाने को कहा गया है।
कार्यकर्ताओं के बीच कम्युनिकेशन गैप दूर कर रहीं प्रियंका
सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद समीक्षा बैठकों में सामने आया है कि आम चुनाव में हार का प्रमुख कारण पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच कम्युनिकेशन गैप होना रहा है। लिहाजा इसे दूर किया जाना जरूरी है। इसके बाद प्रियंका गांधी लगातार कई कई जिलों के नेताओं से दिल्ली और लखनऊ में लगातर मिल रही हैं। आगे की रणनीति पर राय-मशविरा कर रही हैं।