चंदूलाल चंद्राकर हॉस्पिटल को सरकार अपने अधिपत्य में लेकर बनाये मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल-अमित चंद्राकर

स्व. चंदूलाल की छवि को धूमिल होने से बचाये सरकार
हॉस्पिटल के निलामी होने से पहले हाईकोर्ट से चंदूलाल के पौत्र लेकर आयेंगे स्टे
भिलाई. बैकों द्वारा करोड़ों की नोटिस मिलने के बाद भी चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल के डायरेक्टर्स की चुप्पी समझ से परे है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे हॉस्पिटल को सही ढंग से संचालित करना नही चाहते। ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ शासन को चाहिए कि वे इसे अपने अधीन लेकर इसे एक मल्टी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का स्वरूप देकर आम जनमानस की सेवा के लिए योगदान का माध्यम बनाएं। वैसे भी हार्ट, किडनी, कैंसर, लीवर, न्यूरो आदि के गंभीर मरीज दूसरे शहरों के निजी अस्पतालों पर आश्रित हो जाते हैं। चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल की भूमि विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण  साडा द्वारा दान में दी गई थी और दान में दी गई भूमि को निजी कायों के लिए बंधन नही बनाया जा सकता। इस आशय के विचार चंदूलाल चंद्राकर विचार मंच के संयोजक एवं पूर्व सांसद एवं कांगेस के वरिष्ठ नेता स्व. चंदूलाल चंद्राकर के पौत्र अमित चदूलाल चंद्राकर ने एक पत्रकारवार्ता में कही।
उन्होंने बताया कि भूमि लेने के पूर्व जो संकल्प निर्देशक मंडल की ओर से लिखित में साडा प्रबंधन को दिया गया था, उसका भी पालन नही हो रहा है, पत्र के अनुसार 12 प्रतिशत लोगों का इलाज मुफ्त में किया जाना था, वह भी नही किया गया, भूमि मांगने के पहले भी आवेदक की ओर से जनहित और समाजहित के कार्य नही किये गये और आनन फानन में भूमि को आबंटित कर दिया गया। ये कही न कहीं साडा प्रशासन को भी संदेह के घेरे में खड़ा करती  है,  हॉस्पिटल को बंधक रखकर उससे प्राप्त होने वाले राशि को एक निजी मेडिकल कॉलेज निर्माण हेतु उपयोग किया गया, जो कि अनुचित है, इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में मैनेजमेंट कोटे से एडमिशन देकर बड़ी मात्रा में धनराशि की उगाही की गई। बड़ा ही आश्चर्य का यह विषय है कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट की ओर से एक निजी भूमि पुलगांव में भी खरीदी गई है, जिसे ये डायरेक्टर रातदिन देखने जाते रहते हैं, लेकिन इसे बंधक नही रखा गया, वहीं दूसरी ओर बंधक रखी गई भूमि को बैंक से मुक्त नही किया गया, जिसके चलते बैंक द्वारा हॉस्पिटल मैनेजमेंट को करोड़ों रूपये की वसूली के लिए नोटिस भेजी गई। इस हरकत के लिए जीवन भर स्वच्छ छवि का जीवन जीने वाले छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ राजीतिज्ञ स्व. चंदूलाल चंद्राकर के परिजन एवं जनमानस आहत हुआ है, उन्होंने अस्पताल मैनेजमेंट पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि साडा द्वारा पट्टे में ली गई भूमि के एवज में यह तय किया गया था कि बीपीएल कार्डधारियों का नि:शुल्क और सामान्य मरीजों का शासकीय अस्पताल की दर पर इलाज किया जायेगा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन सिर्फ हिटलरशाही रवैया अपनाते हुए इसे भी लागू नही किया। इन्ही सब कारणोंं से छग शासन द्वारा स्मार्ट कार्ड से हो रहे इलाज को छीन लिया था, शासन प्रशासन से मांग है क इस पूरे मामले की उचित जांच कर यथाशीघ्र कार्यवाही कर छत्तीसगढ़ के पितृपुरूष  स्व. चंदूलाल चंद्राकर की छवि को धुमिल होने से बचाया जाये।
अस्पताल को केवल धन उगाही का जरिया बनाकर रखा था मैनेजमेंट
जमीन आबंटन के समय स्वयं द्वारा किये गये वादों पर भी नही रहे कायम
उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व उनकी सरकार अच्छा कार्य अच्छा कार्य कर रही है, और यह सरकार संवेदनशील है, उनके द्वारा जो वादे किये गये थे, उसे भी एक एक कर पूरा कर रही है, इंडियन बैंक द्वारा जनसामान्य के लिए निलामी बिक्री सूचना जिसमें 70 करोड के लिए सीएम मेडिकल कॉलेज और चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल को निलामी के लिए नोटिस निकाला गया है। निलामी में भाग लेने के लिए 25 फरवरी तक समय निर्धारित किया गया है,उसके बाद 29 फरवरी को आप्शन प्रात: 11 बजे से दो बजे के बीच होगा। इस मामले में अमित चंद्राकर ने कहा कि इससे पहले वे उच्च न्यायालय से स्टे ले आयेंगे, इसके लिए वकील से मेरी चर्चा लगातार जारी है, आवश्यकता पड़ी तो मैं सुप्र्रीम कोर्ट भी जाने से गुरेज नही करूंगा। ये पूरा मामला निजी संपत्ति पर अटैक करने जैसा है, डायरेक्टर जो है, पहले मॉडगेज को क्लियर करें, चूंकि अब ये संपत्ति अब सरकार की संपत्ति है, प्रदेश व जिले में कोई भी ढंग का अस्पताल नही है, जो अस्पताल है भी तो वह सर्दी जुकाम तक ही सीमित है, ये अस्पताल शहर के बीचोबीच और हाईवे पर स्थित है, सरकार इसे अपनी अधीन लेकर सुपर मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल बनवाये और अपनी देख रेख में रखे। उन्होंने कहा कि जो डॉक्टरी फीस सामने जो सामने  पल्स हास्पिटल में तीन सौ है, उतना ही फीस इनके डॉक्टर भी यहां ले रहे हैं, लेकिन अब यहां के मैनेजमेंट अस्पताल चलाने की स्थिति में नही है, सफाई सहित अन्य चीजों की दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रही है, मैं और मेरे पिताजी शुरू से ही इस अस्पातल प्रबंधन के रवैये पर पर आपत्ति जताते रहे है, चाहे एमपी चंद्राकर हो या बीएल चंद्राकर हो, पूरा चंद्राकर परिवार हमारा रिश्तेदार है, लेकिन गलत के साथ मैं कहीं खड़ा नही हूं। मेरी इस संबंध में निगम आयुक्त से कोई चर्चा नही हुई है, और न ही इस मामले को मैने अभी पुलिस को सौंपा है। अभी मैं न्यायालयीन प्रक्रिया से ही इस लड़ाई को लडकर जनता के हित के लिए कार्य करूंगा।

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