तोक्यो. कोरोना वायरस के कारण इस साल 24 जुलाई से 9 अगस्त तक होने वाले तोक्यो की मेजबानी में होने वाले ओलिंपिक गेम्स को अगले साल तक के लिए टाला जाएगा। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने मंगलवार को साफ किया कि वह ओलिंपिक गेम्स को स्थगित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाक के साथ समझौते करने पर विचार कर रहे हैं। आबे ने कहा कि आईओसी चीफ उनके प्रस्ताव पर राजी भी हो गए।
ओलिंपिक खेलों ने राजनीतिक बहिष्कार (मॉस्को 1980) और आतंकवाद (म्युनिख 1972) का सामना किया है लेकिन खेल सिर्फ युद्ध के कारण रद्द हुए हैं । तोक्यो ओलंपिक 2020 स्थगित किए जाने के बाद अतीत के गलियारों में जाकर उन खेलों पर नजर डालते हैं जिन पर जंग की गाज गिरी थी ।
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बर्लिन 1916 : स्टॉकहोम में चार जुलाई 1912 को छठे ओलिंपिक खेलों की मेजबानी बर्लिन को सौंपी गई। जर्मन ओलिंपिक समिति ने युद्धस्तर पर तैयारी की। जून में बर्लिन स्टेडियम में टेस्ट स्पर्धायें भी आयोजित हुईं। दूसरे दिन ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रेंक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई । इसके बाद के घटनाक्रम प्रथम विश्व युद्ध का कारण बने। बर्लिन ओलंपिक खेल नहीं हो सके।
तोक्यो 1940: जूडो के अविष्कारक जापान के महान खिलाड़ी जिगोरो कानो की अगुवाई में तोक्यो को 1940 में ओलिंपिक की मेजबानी मिली। इतालवी निर्देशक बेनितो मुसोलिनी ने ऐन मौके पर दौड़ से नाम वापिस ले लिया। इस बीच जापान और चीन में जंग छिड़ गई और राजनयिक दबाव बन गया कि जापान खेलों की मेजबानी छोड़ दी । आखिरकार जापान ने दबाव के आगे घुटने टेके लेकिन 1964 में तोक्यो ओलिंपिक की मेजबानी करने वाला पहला एशियाई देश बना।
लंदन 1944 : लंदन ने रोम, डेट्राइट, लुसाने और एथेंस को पछाड़कर मेजबानी हासिल की लेकिन तीन महीने बाद ही ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। ये खेल हुए ही नहीं और इटली में शीतकालीन खेल भी रद्द हो गए । लंदन ने 1948 में खेलों की मेजबानी की जिसमें जापान और जर्मनी ने भाग नहीं लिया।