जल्द घर का सोना जमा कर उसके बदले मिलेगी निवेश की रसीद

निवेशक जल्द ही शेयरों की तरह सोने में भी कारोबार कर सकेंगे।बाजार नियामक सेबी ने गोल्ड एक्सचेंज शुरू करने का दिया प्रस्ताव है। सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक, इस एक्सचेंज से सोने की खरीद बिक्री इलेक्ट्रॉनिक रूप में होगी, लेकिन यह पहली बार होगा कि आप घर का सोना जमा कर उसके बदले निवेश की रसीद (ईजीआर) एक शहर में जमा कर दूसरे शहर में उसे दिखाकर फिर से भौतिक सोना हासिल कर सकते हैं। सेबी ने इसका मसौदा प्रस्ताव जारी किया है, जिसमें इससे जुड़े कई नियम दिए गए हैं।

क्या है ईजीआर

शेयर बाजार की तरह सोने के लिए एक अलग गोल्ड एक्सचेंज होगा। इसमें शेयरों की तरह सोना खरीदने और उसे भौतिक रूप में बदलने की भी सुविधा होगी। यह कारोबार इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रसीद (ईजीआर) के जरिये होगा। इसमें निवेशकों को ईजीआर को कभी भी अपनी मर्जी से सोने में बदलने की सुविधा होगी। इईजीआर का कारोबार मौजूदा एक्सचेंज और नए बनने वाले एक्सचेंज दोनों पर होगा। हालांकि, मौजूदा एक्सचेंज को इसे अलग सेग्मेंट में जारी करना होगा।

कैसे करेगा काम

सेबी के मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक इजीआर को प्रतिभूति की श्रेणी में रखा जाएगा। इसमें कारोबार, क्लीयरिंग और सेटलमेंट की अनुमति होगी जैसा कि शेयरों में होता है। ईजीआर के कारोबार का मूल्य निर्धारण और इसे सोने में परिवर्तित करने का फैसला सेबी की अनुमति से ही होगा। गोल्ड एक्सचेंज न सिर्फ कारोबार का ढांचा तैयार करेगा, बल्कि फिजिकल गोल्ड की डिलीवरी का तंत्र भी विकसित करेगा। इसका प्रबंधन करने वाली एएमसी को कम से कम 50 करोड़ का वॉल्ट तैयार करना होगा।

सोने मानक मूल्य निर्धारित होगा

मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक गोल्ड एक्सचेंज देशभर में इजीआर के खरीद-फरोख्त का राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म होगा। इससे सोने का मानक निर्धारित करने के साथ उसकी देशव्यापी कीमत पर तय की जा सकेगी। इसके अलावा सोने की गुणवत्ता और पारदर्शी निवेश सुनिश्चित होगा।

कभी भी पूंजी निकालने की सुविधा

विशेषज्ञों का कहना है कि ईजीआर में निवेशकों को बेहतर पूंजी तलरता का लाभ मिलेगा। यानी, वह जब चाहें अपने ईजीआर को भौतिक सोने में बदलवा सकेंगे। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप एक शहर में ईजीआर लेकर उसके बदले दूसरे शहर में भौतिक सोना ले सकेंगे या उसे भूना सकेंगे। यानी दिल्ली में ईजीआर आपने लिया है उसे पटना या लखनऊ में जमा कर निवेश या भौतिक सोना हासिल कर सकेंगे। इसका प्रबंधन करने वाले वॉल्ट मैनेजर सेबी के मध्यस्थ के तौर पर पंजीकृत होंगे। वॉल्ट मैनेजर को कई मानकों पर खरा उतरना होगा।

कितना लगेगा टैक्स

सेबी के मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक ईजीआर की खरीद पर-बिक्री पर शेयरों पर लगने वाला सिक्यूरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) लगेगा। जबकि ईजीआर को भौतिक सोने में बदलने पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देना होगा जो सोने पर तीन फीसदी है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ईजीआर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर छूट पाने के लिए एक साल बाद ही मान्य हो जाना चाहिए जबकि भौतिक सोना या गोल्ड ईडीएफ पर तीन साल है।

ईजीआर में निवेश कितना फायदेमंद

विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा, टैक्स बचत और तरलता के मामले में यह सोने के सभी निवेश विकल्पों में बेहतर है। हालांकि, शुल्क के मामले में यह थोड़ा महंगा साबित हो सकता है। वहीं गोल्ड बॉन्ड लंबी अवधि में ज्यादा बेहतर है क्योंकि उसपर 2.5 फीसदी ब्याज भी मिलता है।

 

शेयर करें