गुरूर। गुरूर ब्लाक के विभिन्न ग्रामों में इन दिनों मे ग्रामीण कोरोना से बचने के जतन में अंधविश्वास और अफवाहों को भी बल दे रहे हैं। इन दिनों सोशल मीडिया में टिफिन के जरिए सील पत्थर उठाने का विडियो शेयर होने पर अन्य ग्रामीण भी इसे आजमा रहे है ऐसा कर ग्रामीणों का मानना है कि कोरोना के आलावा उसके घर, शरीर में कोई भी बिमारी प्रवेश नही करेगा। यह अंधविश्वास वाला कार्य अब ग्रामीण अंचलों मे ग्रामीण प्रतिदिन आजमा रहे है, इसी तरह रामायण के बालकांड में बाल का टुकड़ा मिलने की बातें और वीडियो शेयर कर रहे हैं। उन वीडियो को देखकर गुरूर नगर सहित ग्राम भरदा, छेडिय़ा, बरपारा, बगदई, धोबनपुरी सहित अन्य ग्रामों के लोग भी अपने घर में यह प्रयोग कर रहे हैं। कोई शाम होते ही पूजा के समय सील पत्थर पर टिफिन रखकर गोबर चिपका कर उठा रहा है तो सुबह कोई रामायण-गीता पढ़ते समय बाल के टुकड़े तलाश रहा है जबकि यह सब महज अफवाह व अंधविश्वास है। बता दे कि सोशल मीडिया में आए वीडियो के बाद लोग एक-दूसरे की देखा-देखी में यह प्रयोग कर रहे हैं। जब टिफिन के जरिए भारी भरकम सील पत्थर उठ जाता है तो लोग इसे चमत्कार तक मानने लगे हैं जबकि यह एक वैज्ञानिक गुण है। बड़े बुजुर्गो का मानना है कि जब कभी भी हम रामायण पढ़ते हैं तो इसी दौरान कहीं ना कहीं हमारे सिर के बाल का छोटा सा टुकड़ा पन्नों के बीच जाकर गिर जाता है जिसे हम उस समय ध्यान नहीं दे पाते। यही बाल जब हम बाद में पन्ने पलटते हैं तो सामने आ जाते हैं। अक्सर लोग रामायण में बालकांड से ही पढ़ाई शुरु करते हैं इसलिए बाल के टुकड़े बालकांड के पन्नों में ही ज्यादा मिल रहा है। इसे किसी तरह का चमत्कार ना समझे। ऐसा समझना अंधविश्वास है। इसी तरह टिफिन व गोबर के जरिए पत्थर उठा लेना भी एक वैज्ञानिकता है। इससे कोरोना से बचाव का कोई लेना देना नहीं है ऐसे अंधविश्वास में नहीं पडऩा चाहिए। डब्ल्यूएचओ के जो भी निर्देश हैं, उनका पालन करें क्योंकि फिलहाल कोरोना से सावधानी ही बचाव है इसलिए सभी एहतियात बरतें। यह निर्वात का गुण है। जब हम सील के ऊपर टिफिन रखते हैं फिर उसे चारों तरफ से गोबर से घेरा लगाते हैं तो निर्वात के गुण के कारण बाहर की हवा टिफिन के परत के नीचे नहीं जा पाती। पैक होने से उसमें एक तरह से निर्वात बन जाता है। टिफिन पत्थर से मजबूती से चिपक जाती है। फिर टिफिन के हैंडल के जरिए पत्थर उठाया जा सकता है।