बीजिंग। चीन की गुप्त मंशा और होशियाई को लेकर अब नया खुलासा हुआ है उसने कोरोना वायरस की महामारी के फैलते ही उसकी दवा को लेकर पेटेंट हासिल करने के दस्तावेज दाखिल कर दिए थे। चीन को जैसे ही ये जानकारी मिली कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में हो रहा है, चीन ने कोरोना के इलाज में कारगर दवा का पेटेंट हासिल करने के लिए आवेदन दाखिल कर दिए थे। चीन के वुहान में सबसे पहले कोरोना वायरस का संक्रमण फैला था। शुरुआत से ही चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि वो कोरोना की महामारी को लेकर जानकारी छिपाता रहा है। दवा के पेटेंट हासिल करने की जानकारी सामने आने के बाद चीन पर एक बार फिर आरोप लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि चीन को कोरोना वायरस के खतरनाक होने की भलीभांति जानकारी थी। लेकिन वो उसकी सच्चाई दुनिया को बताने की बजाए चोरी चुपके उसकी दवा का पेटेंट हासिल करने में लग गया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब चीन की इस दिशा में रोल की जांच को लेकर मांग उठने लगी है। फॉरेन अफेयर सेलेक्ट कमेटी के चेयरमैन टॉम टुगनधाट ने कहा है कि इस बीमारी की शुरुआत की जानकारी के बगैर हमने इससे लड़ना शुरू कर दिया। हमें इस महामारी के बारे में पूरी जानकारी चाहिए ताकि पूरी दुनिया के देश इससे मजबूती से लड़ सकें और भविष्य में भी ये फैलता है तो इससे बेहतर तरीके से निपटा जाए। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर आरोप लगाए गए हैं कि उसने संक्रमण की जानकारी छुपाए रखी। चीन ने कोरोना से मरने वालों के आंकड़ों में हेरफेर की, पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट को जांच करने से रोका, डॉक्टरों को चेतावनी देकर चुप कराया और इस बारे में देर से जानकारी दी कि कोरोना का संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में हो सकता है।
20 जनवरी को पहली बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वायरस के संक्रमण के जरिए फैलने की जानकारी दी। लीक हुए कुछ दस्तावेजों के हवाले से कहा जा रहा है कि चीन के अधिकारियों को ये पता था कि वो एक महामारी का सामना कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ये सच्चाई 6 दिनों तक जनता से छुपाए रखी। वहीं 21 जनवरी को चीन ने रेमडेजिविर दवा के कमर्शियल इस्तेमाल के मकसद से पेटेंट हासिल करने के लिए आवेदन कर दिया। इस दवा को सबसे पहले इबोला से लड़ने के लिए अमेरिकन फॉर्मास्यूटिकल कंपनियों ने बनाया था। दवा का पेटेंट हासिल करने के लिए वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी ने आवेदन किया था। चीन के इस टॉप के संक्रामक रोगों की जांच करने वाले लैब पर बाद में आरोप लगाया गया कि वहां से कोरोना का वायरस लीक हुआ। लैब में चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस को लेकर प्रयोग चल रहे थे।