लॉकडाउन में वनोपज खरीदी, मास्क से लेकर सेनेटाइजर निर्माण भी कर रहें हैं महिला समूह

रायपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाव से रोकने के लिए संपूर्ण देश में लाॅकडाउन किया गया है। इस दौरान बन्द दरवाजों के पीछे जहाँ पूरा देश खुद को सुरक्षित पा रहा था वही डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस और प्रशासनिक कर्मचारियों के साथ महिला स्वसहायता समूहों की महिलाएं भी कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रहीं हैं। जहां शासन-प्रशासन लोगों के स्वास्थ्य, पोषण और रक्षा का ख्याल रख रहा है वहीं ग्रामीण महिलाओं के स्वसहायता समूह इस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव बन कर इन्हें गिरने से बचा रहीं है। एक ओर ये वनोपज की खरीदी करती नजर आतीं हैं तो कहीं ये कोरोना से लड़ने मास्क और सेनेटाइजर बनाती नजर आती हैं कही ये बैंक सखी के रूप में ग्रामीणों को नगद पहुंचाती हैं कही ये गरम भोजन तैयार कर लोगो को क्षुदा पूर्ति कराती हैं। इस विपदा काल मे महिला समूहों ने ना केवल नारी शक्ति का प्रदर्शन किया अपितु नए रोजगार के अवसरों से खुद को जोड़ कर अपने आसपास की महिलाओं को भी इससे जोड़ा है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’बिहान’ योजना के अंतर्गत कोण्डागांव जिले में महिलाओं को सभी आवश्यक गतिविधि के लिए आवश्यक प्रशिक्षण देकर, स्वरोजगार हेतु धनराशि ऋण के रूप कम ब्याज दरों पर आसान किश्तों में प्रदान की जाती है। जिससे ये स्व-उद्यम से स्वाभिमान के साथ सिर उठा कर समाज के साथ कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर सकें। इस कार्य को आसान बनाने के लिए विभिन्न स्तर पर संगठन का निर्माण किया गया है जो ग्राम स्तर से विकासखण्ड स्तर तक हैं जो इन समूहों को आवश्यक सामग्री, जानकरी से लेकर प्रशिक्षण दिलाने एवं समूह निर्माण में भी मदद करते हैं। वनांचलों की महिला समूह वनोपज संग्रहण से जुड़ कर गांवों में खुशहाली का मार्ग बना रही हैं। अब तक जिले में 400 महिला स्व सहायता समूहों द्वारा 28 प्रकार के वनोपजों की नगद भुगतान द्वारा लगभग 5 करोड़ 31 लाख राशि के लघु वनोपजों का संग्रहण का कार्य किया गया है।

कोरोना वायरस से बचने का एक मात्र उपाय बचाव है जिसके लिए मास्क एक प्रमुख हथियार है परन्तु सम्पूर्ण विश्व मे मास्क की बहुत अधिक कमी है ऐसे में इन महिला कोरोना वॉरियर्स ने इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और लॉक डाउन के महज 3 दिनों के भीतर मास्क उत्पादन कार्य प्रारम्भ कर दिया। इसमें अब तक 107 महिला स्व सहायता समूह के 183 सदस्य अब तक इस अभियान से जुड़ चुके हैं जिन्होंने अब तक कुल 54 हजार से अधिक मास्क का निर्माण किया है।

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