नई दिल्ली | चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत ने चीन पर आर्थिक समेत सभी मोर्चों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि चीन से सस्ते आयात रोकने के लिए सरकार जल्द सख्त नियम बनाने जा रही है। इस बीच देशभर के खुदरा कारोबारियों के संगठन ने चीनी उत्पादों को नहीं बेचने का फैसला किया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार 371 चीनी सामानों को रोकने की प्रक्रिया में तेजी ला सकती है। साथ ही देश के शेयर बाजार में चीनी कंपनियों के निवेश पर रोक लगा सकता है। चीनी कंपनियों के निवेश पर रोक लगाने के मामले में बाजार नियामक सेबी और वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के बीच बात चल रही है। सूत्रों का कहना है कि कुछ चीनी कंपनियों के निवेश पर जल्द ही रोक लग सकती है। वहीं दूरसंचार मंत्रालय ने सरकारी और निजी टेलीकॉम कंपनियों को भी चीन के उत्पादों से दूर रहने की हिदायत दे दी है। दूरसंचार मंत्रालय ने सरकारी कंपनी बीएसएनएल को चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा ई-कॉमर्स कंपनियों ने चीन के उत्पादों से दूर रहने का फैसला किया है।
चीन से 1962 की जंग में 16 फीसदी टूट गया था सेंसेक्स
वर्ष 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के दौरान शेयर बाजार में सालाना 16 प्रतिशत की गिरावट आई थी। साथ ही सोने की कीमतें 30 प्रतिशत तक गिर गईं थी। जून 1963 को समाप्त साल के लिए आरबीआई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
चीन के स्टार्टअप पर पैनी नजर
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने भारत के तकनीकी स्टार्टअप में तेजी से निवेश किया है। पिछले साल चीन ने भारत के 23 करार के जरिये 35 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया। इनमें पेटीएम, जौमेटो, बायजू और ओला जैसे बड़े नाम हैं।
छोटे कारोबारियों का चीनी उत्पादों पर हल्ला बोल
खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने फिलहाल 500 से ज्यादा चीनी उत्पादों के बहिष्कार की सूची की है। बहिष्कार की सूची में एफएमसीजी, टीवी एवं अन्य उपभोक्ता उत्पाद आदि शामिल हैं। चीन के उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाने की तैयारी सरकार चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि अभी ऐसे उत्पादों की सूची बनाई जा रही है। पिछले साल भारत के आयात में 14 फीसदी हिस्सा चीन का था।
भारत-चीन तनाव का क्या होगा व्यापार पर असर
5.7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान चीन का भारत से व्यापार खत्म होने पर
137 लाख करोड़ रुपये का घाटा भारत को चीन से व्यापार खत्म होने पर
2 लाख करोड़ रुपये का है भारतीय मोबाइल बाजार 72 फीसदी हिस्सेदारी चीन की भारतीय मोबाइल बाजार में
45 फीसदी टीवी और अन्य घरेलू उपभोक्ता सामान चीन से आते हैं