नई दिल्ली, गलवान घाटी में खूनी संघर्ष और चीनी पैंतरेबाजी के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा बलों की तैनाती में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। उन क्षेत्रों में जहां चीन अपनी दावेदारी जताता है, उन स्थानों पर सेना एवं सुरक्षाबलों की तैनाती को मजबूत किया जाएगा। ताकि गलवान, पेंगोग लेक तथा अन्य स्थानों पर जिस प्रकार चीन आगे बढ़ा है, वैसा फिर नहीं हो।
दरअसल, एलएसी पर कई स्थानों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। भारतीय क्षेत्र में पड़ने वाले स्थानों पर चीन दावे करता है, तो चीनी क्षेत्र में पड़ने वाले कई स्थानों पर पर भारत का दावा है। लेकिन इन दावों को लेकर लंबे समय से कोई हिंसा की नौबत नहीं आई है, लेकिन इधर चीन ने आक्रामक रुख अपना लिया है तथा वह भारतीय क्षेत्र में घुसा आ रहा है। इसलिए एलएसी पर आईटीबीपी और सेना की तैनाती को मजबूत करने पर विमर्श की प्रक्रिया चल रही है।
सेना के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि चीन का दावा किन क्षेत्रों पर है, इसमें कुछ तो सबको पता हैं, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे हैं जिसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है। यही स्थिति भारत के दावों को लेकर है, लेकिन दोनों देश यह जानते हैं कि उनके दावे क्या हैं। इसकी वजह यह है कि 2003 में एक समझौते के लिए सैन्य अधिकारियों के बीच नक्शों का आदान प्रदान हुआ था। तब इस पर बात तो आगे नहीं बढ़ी है, लेकिन दोनों देशों को पता चल गया कि किसका क्या दावा है। इसलिए चीन को रोकने लिए यह बेहतर तरीका है कि उन क्षेत्रों में भारत अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराए जिन पर चीन की नजर है। खबर है कि इनमें से कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां सुरक्षाबलों की मौजूदगी नहीं है। ऐसे क्षेत्रों पर फोकस बढ़ाया जाएगा।
पूर्वी लद्दाख के इलाकों में चल रहा है विवाद
भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।
5 मई को भारत और चीन की सेना में झड़प
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ”अलग” हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।