बॉलीवुड इंडस्ट्री में 80 का दशक एक ऐसा दौर था जब संगीत की दुनिया से नामी गायकों की अकस्मात मौत से बड़ा शून्य पैदा होने लगा। 80 के दशक से पहले ही गायक मुकेश का देहांत हो गया था। 80 के दशक की शुरुआत में ही रफी साहब भी गुजर गए। त्रिमूर्ती ढह गई और सिर्फ किशोर कुमार ही अकेले रह गये। ऐसे में रफी साहब के जाने से जो जगह खाली हुई थी उससे इंडस्ट्री के लिए उबरना नामुमकिन सा हो चला था। लोगों के सिर, रफी साहब की मखमली आवाज का जादू चढ़ गया था। ऐसे में मोहम्मद अजीज ने उस स्थान को बेखूबी भरा।
अजीज का जन्म साल 1954 में पश्चिम बंगाल में हुआ था। अजीज ने बॉलीवुड के अलावा बंगाली, उड़िया और अन्य भाषाओं की फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग की। अजीज, शुरुआत से ही मोहम्मद रफी के बहुत बड़े प्रशंसक थे, उन्हें अनु मलिक ने बॉलीवुड में बड़ा ब्रेक दिया। अमिताभ बच्चन की फिल्म “मर्द” के टाइटल सॉन्ग “मैं हूं मर्द तांगे वाला” से अजीज रातों रात हिंदी प्लेबैक सिंगिंग में सुपरस्टार बन गए। मगर उनके बॉलीवुड तक पहुंचने में एक शख्स का योगदान बेहद खास रहा।
मोहम्मद अजीज ने कोलकाता के गालिब रेस्टोरेंट में एक सिंगर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। इसी दौरान वे लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगे। एक दिन फिल्म निर्देशक मनमोहन देसाई का ध्यान उनपर गया। उन्होंने ही अजीज का परिचय अनु मलिक से कराया। और उन्हें मर्द फिल्म में गाने का मौका मिला। जहां एक तरफ फिल्म के सारे गाने शब्बीर कुमार ने गाए वहीं टाइटल ट्रैक मोहम्मद अजीज ने गाया जो बहुत लोकप्रिय भी हुआ।
64 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। घर लौटते वक्त एयरपोर्ट पर मोहम्मद अजीज को हार्ट में परेशानी हुई। ड्राइवर ने उन्हें नानावती अस्पताल पहुंचाया पर उन्हे बचाया नहीं जा सका। मर्द के अलावा उन्होंने, त्रिदेव, आदमी खिलौना है, चालबाज, खुदा गवाह और बीवी हो तो ऐसी जैसी फिल्मों में गाने गाए।