-सीएम बोले-राजस्व खाली, राज्य कैसे चलेगा?
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार के बकाया रुपये न देने से पंजाब निराश हैं। मार्च से उन्हें केंद्र सरकार ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया है। वह राज्य कैसे चलाएं? उनके पास कर्मचारियों का वेतन देने तक के रुपये नहीं हैं। केंद्र सरकार से बकाया 400 करोड़ रुपये का जीएसटी मांगा था। केंद्र सरकार ने जीएसटी का भुगतान करने से इनकार कर दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते 2020-21 के लिए हमारा राजस्व का जो आकलन था उसका मात्र 25 फीसदी सरकार को मिला है। लेकिन जिस तरह की परिस्थितियां हैं उससे हमें डर है कि यह राजस्व सिर्फ 30 फीसदी तक ही रहेगा। यह बहुत बड़ा अंतर है। अप्रैल में लॉकडाउन होने के कारण राज्य का रसीद संग्रह 80फीसदी तक कम हुआ है। कुल मिलाकर, 2020-21 की पहली तिमाही के लिए, राज्य के अपने राजस्व में 5,576 करोड़ रुपये की कमी आई है। सीएम ने कहा, ‘केंद्र सरकार हमारी मदद नहीं कर रही हैं। केंद्र ने हमें बढ़ा हुआ कोविड रिलीफ फंड तो दूर हमारा अपना बकाया जीएसटी का भुगतान तक नहीं किया। इस संकट के बीच हम कैसे प्रबंधन करें? केंद्र ऐसा कैसे कर सकता है? उनके पास राज्यों की जिम्मेदारी है।’ अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘जब केंद्र ने हमें जीएसटी का भुगतान करने से इनकार कर दिया तो मुझे सदमा लगा और निराशा हुई। मैं अब भी परेशान हूं कि क्या महामारी के बीच केंद्र सरकार को संघीय राजनीति करनी चाहिए? हमारे सारे राजस्व के स्रोत बंद हैं। हम अपनी जीएसटी के लिए संवैधानिक रूप से अधिकृत हैं। मुझे यकीन है कि दूसरे राज्यों की भी यही स्थिति है।’ केंद्र ने हमसे बिना बात किए यह बेहद अनुचित और भयावह निर्णय लिया है। क्या उन्हें हमसे यह नहीं पूछना चाहिए कि हम कोविड महामारी के बीच कैसे राज्य चला रहे हैं। हम कैसे संकट से जूझ रहे हैं? सीएम ने कहा, ‘अभी तक हम आरबीआई के जरिए बाजार से ऋण लेते रहे हैं। अप्रैल और अगस्त के बीच में, हमने कुछ आवश्यक खर्चों को पूरा करने के लिए 8,910 करोड़ उधार लिए क्योंकि हमारा राजस्व कम था। हम बाजार से उधार लेना पसंद करते हैं क्योंकि वहां पर हमें लोन उचित ब्याज दर पर मिल जाता है।’वे कहते हैं कि हम उधार ले सकते हैं लेकिन तथ्य यह है कि अपने कंधों से बोझ को हटाकर राज्यों पर डालने के लिए इस तरह का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है। क्या इस तरह के अभूतपूर्व संकट के बीच केंद्र सरकार को अपने ही राज्यों के साथ ऐसे पेश आना चाहिए?