नई दिल्ली, आठ महीने के लंबे इंतजार और तमाम कयासों के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम की घोषणा कर दी. जेपी नड्डा को पिछले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जो टीम मिली थी, उसमें उन्होंने कई अमूलचूल परिवर्तन करते हुए अपनी टीम में अनुभव, संगठन कुशलता के साथ-साथ युवा जोश का सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है.
जेपी नड्डा ने अपनी टीम में वैसे तो कई बड़े-बड़े फैसले लिए हैं लेकिन सबसे चौंकाने वाला फैसला आरएसएस से बीजेपी में आए राम माधव और मुरलीधर राव को हटाना है. राम माधव ने ही मोदी सरकार बनने के बाद जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनवाकर घाटी में पार्टी को मजबूती दी थी. उसके बाद असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर एक के बाद एक सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. मिजोरम, नगालैंड और मेघालय में गठबंधन की सरकार बनाकर पूर्वोत्तर भारत में भी बीजेपी के पैर जमाने का काम किया था.
हरियाणा में 2014 और 2019 में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले डॉ अनिल जैन को भी महासचिव पद से हटा दिया गया है. छत्तीसगढ़ में रमन सिंह से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाली सरोज पांडेय भी महासचिव पद से मुक्त कर दी गई हैं. इनकी जगह जिन चेहरों को नड्डा ने टीम में जगह दी वो अचंभित करते हैं. जिन्हें प्रमोशन मिला है उनमें तरुण चुग पंजाब से आते हैं और अभी तक राष्ट्रीय सचिव के पद पर काम कर रहे थे, दिल्ली के प्रभारी थे. हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की क्या पर्फोमेंस रही, ये किसी से छुपी नहीं है.
इन चेहरों पर जताया भरोसा
पिछले कुछ समय से बीजेपी ने जिस दलित चेहरे पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया है उनमें दुष्यंत कुमार गौतम का नाम शामिल है. इन पर नड्डा ने भरोसा जताते हुए अपनी टीम में महासचिव बनाया हैं. कर्नाटक के सीटी रवि को महासचिव बनाया गया हैं. सीटी रवि कर्नाटक सरकार में संस्कृति, कन्नड़ और पर्यटन मामलों के मंत्री हैं और उनकी मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से खास नहीं बनती है. इसलिए वो मंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी महासचिव के तौर पर काम करेंगे.
इसके अलावा महिला कोटे से कांग्रेस से बीजेपी में आईं एनटी रामाराव की बेटी डी पुरदेंश्वरी को महासचिव बनाया गया है. चेन्नई में जन्मी पुरदेंश्वरी मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रही हैं. जाहिर है कि उन्हें आंध्र प्रदेश की नुमाइंदगी करने के लिए राम माधव की जगह दी गई है. डी पुरदेंश्वरी 2019 के लोकसभा में विशाखापट्टनम से चुनाव लड़ी थी और उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी. असम चुनाव को देखते हुए नड्डा ने सांसद दिलीप सैकिया को महासचिव बनाया है. सैकिया असम में पिछलें दो दशकों से संगठन में कई पदों पर काम कर चुके हैं.
तेजस्वी सूर्या को बड़ी जिम्मेदारी
जेपी नड्डा की नई टीम पर संगठन महासचिव बीएल संतोष की प्रभाव अच्छा खासा दिखता हैं. सीटी रवि को महासचिव के पद पर ताजपोशी और उनके करीबी माने जाने वाले युवा सांसद तेजस्वी सूर्या को भी संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. उन्हें पूनम महाजन की जगह युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है. अनंत कुमार का कर्नाटक बीजेपी में ही नही बल्कि केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व में बड़ा नाम था. उनके निधन के बाद उनकी पत्नी तेजस्वनी लोकसभा सीट बेंगलुरू दक्षिण से दावेदार थीं. हालांकि बीएल संतोष ने पूरी ताकत लगाकर अनंत कुमार की पत्नी की जगह तेजस्वी सूर्या को टिकट दिलाया था.
जेपी नड्डा की नई टीम में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को उपाध्यक्ष बनाया गया है. वसुंधरा राजे और रमन सिंह पहले से ही अमित शाह की टीम से उपाध्यक्ष थे. इस बार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का नया नाम जुड़ गया हैं. नड्डा की नई टीम राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में भी कुछ नाम चौंकाते हैं जैसे मुकुल रॉय.
हालांकि मुकुल रॉय को तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आए लंबा अरसा हो चुका है. लेकिन उन्हें सरकार के बजाए संगठन में जिम्मेदारी मिली. पश्चिम बंगाल चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका रहने वाली है. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. उमा भारती, प्रभात झा, विनय सहस्त्रबुद्धे, ओम माथुर, श्याम जाजू और अविनाश राय खन्ना की उपाध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी गई है .
प्रवक्ता
बीजेपी ने 23 प्रवक्ताओं की भारी-भरकम फौज बनाई है. राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी इसकी अगुवाई करेंगे. इसमें पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ और सांसद हिना गवित, सांसद राजू बिस्टा, सांसद राजीव चंद्रशेखर, तेजतर्रार सांसद अपराजिता सारंगी समेत कई युवा चेहरों को जगह दी गई हैं लेकिन मीनाक्षी लेखी को प्रवक्ता पद से मुक्ति दे दी गई है.
जेपी नड्डा ने अपनी टीम में दूसरी पार्टियों से आए नेताओ को भी तरजीह देते हुए उन्हें संगठन में जगह दी है. जेपी नड्डा की इस टीम में नए-पुराने चेहरों का सामंजस्य बैठाने की कोशिश की गई है. नड्डा ने अपनी टीम में बड़ी संख्या में महिलाओं और युवाओं के अनुभव का ध्यान रखते हुए स्थान दिया हैं. सबसे खास बात ये हैं कि उन्होंने अपनी टीम जातिगत आधार पर और सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व देते हुए चुनी है.
पद खाली
वहीं सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि तमाम कोशिश के बाद भी जेपी नड्डा संगठन की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण पद महासचिव पर सभी 10 महासचिवों की नियुक्ति नहीं कर पाए हैं. संगठन के हिसाब से संगठन महासचिव समेत 10 महासचिव होने चाहिए लेकिन अभी एक महासचिव पद खाली है. मतलब साफ है कि कहीं न कहीं पार्टी में ऐसे अनुभवी लोगों की कमी है जिनको महासचिव बनाया जाए.
वहीं अमित शाह के 6 साल अध्यक्षीय कार्यकाल में दो महासचिव समेत कई संगठन के पद खाली रहे. सूत्रों के मुताबिक जिन नेताओं को नड्डा की टीम में जगह नहीं मिली हैं, उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जा सकता हैं. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल में फेरबदल भी जल्द होगा.