भोजन और आहार के विषय में जानना जरुरी हैं जैसे भोजन यानी भोग से जल्दी नष्ट होना ,आहार यानी आरोग्यवर्धक और हानिरहित उसे आहार कहते हैं। शाकाहार यानी शांतिकारक और हानिरहित आहार को शाकाहार कहते हैं। मांसाहार मन और शरीर को हानि पहुचाये उसे मांसाहार कहते हैं। आहार भी तीन प्रकार का होता हैं सात्त्विक ,तामसिक और राजसिक। सात्त्विक श्रेष्ठ होता हैं।
नॉनवेज खानेवाले लोग बहुत सारे तर्कों से अपनी पसंद को सही साबित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन सच तो यही है कि शाकाहारी भोजन से बेहतर दूसरा कुछ नहीं है…
एक आम राय है कि सिर्फ वेजिटेरियन डायट यानी शाकाहारी भोजन पर निर्भर रहनेवाले लोगों के शरीर को सभी पोषक तत्वों की प्राप्त नहीं हो पाती है। साथ ही वे नॉनवेज खानेवाले लोगों की तुलना में कमजोर होते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। .
स्वाद और फील देते हैं ये 2 फूड
आजकल खाने में मौजूद पोषण के साथ ही सबसे पहला फोकस फील पर होता है। यानी किसी भी फूड को खाते समय आपको कैसा अनुभव होता है, आप कैसा महसूस करते हैं।
आप दो वेज फूड्स के जरिए इस फील को पूरी तरह इंजॉय कर सकते हैं। इन दो फूड्स का नाम है- कटहल, मशरूम।
ये दोनों सब्जियां खाने में जितनी स्वादिष्ट लगती हैं, पोषण के मामलों में भी उतनी ही गुणों से भरपूर हैं।
यह है मुख्य अवयव
शाकाहारी डायट की आलोचना करनेवाले ज्यादातर लोग इस बात का तर्क देते हैं कि इससे शरीर को विटमिन-बी12 नहीं मिल पाता है। जिस कारण नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां और शरीर में खून की कमी जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
इसके साथ ही विटमिन-बी12 आपके शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यदि शरीर में इसकी कमी होती है तो नई कोशिकाओं का निर्माण बाधित होता है, जिससे शरीर कमजोर होने लगता है।
वेजिटेरियन डायट में डेयरी प्रॉडक्ट्स विटमिन-बी12 के शानदार सोर्स हैं। ये आपके शरीर में सभी कमियों को दूर करते हुए पोषण प्रदान करते हैं। जिन लोगों को दूध या डेयरी प्रॉडक्ट्स से एलर्जी होती है, वे ड्राई फ्रूट्स के सेवन और कच्ची हरी सब्जियों के सेवन से शरीर में इसकी पूर्ति कर सकते हैं।
शाकाहारी डायट में जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसी कमियों को दूर करने लिए भी पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हैं। आप बादाम, अखरोट, साबुत अनाज जैसे काबुली चना, राजमा, साबुत मूंग, लोबिया, हरी पत्तेदार सब्जियों और मौसमी फलों के सेवन से सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति कर सकते हैं।
जो लोग सिर्फ शाकाहारी डायट पर निर्भर रहते हैं, उनका मन मांसाहार लेनेवाले लोगों की तुलना में अधिक शांत होता है। ऐसा अध्यात्म विज्ञान में बताया गया है। इसके साथ ही शाकाहार का सेवन करनेवाले लोग ऐसा ना करनेवाले लोगों की तुलना में अधिक सात्विक और सौम्य प्रवृत्ति के होते हैं। शायद यही कारण है कि सदियों से यह कहावत चली आ रही है- ”जैसा खाओ अन्न, वैसा बने मन
जैसा पियोगे पानी वैसी होगी वाणी ”
आजकल मांसाहार का चलन अधिक होने से अनेक प्रकार की बीमारियों की बहुतायत होने लगी। वैसे खान- पान ,रहन- सहन, पहनना सबके निजी मामले हैं पर जो भी करे गुण दोषों के आधार पर करे। प्रज्ञापराध नहीं करना चाहिए। शाकाहार और मांसाहार भोजन को आप तुलनात्मक देखेंगे तो सुंदरता और ग्लानि अपने आप दिखाई देती हैं।