नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली के सभी स्कूलों के शिक्षकों को आमंत्रित किया गया है. न्यूज़ एजेंसी एएनआई के अनुसार इस संबंध में जारी सर्कुलर के अनुसार, शिक्षा निदेशालय (Directorate Of Education) की तरफ से सभी सरकारी स्कूलों (Government Schools) के शिक्षकों, प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, हैप्पीनेस कोऑर्डिनेटर्स और शिक्षा अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है.
यह शपथ ग्रहण समारोह रविवार 16 फरवरी की सुबह 10 बजे दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा.
20 शिक्षकों की सूची करें तैयारसर्कुलर पर ओएसडी रविंद्र कुमार के हस्ताक्षर हैं, जिसमें सभी स्कूलों के प्रिंसिपल को रामलीला मैदान में शामिल होने वाले 20 टीचर्स की सूची तैयार करने को कहा गया है. बता दें कि शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल की तरफ से शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता भेजा गया है.
बीजेपी-कांग्रेस का हमला
उधर, इस सर्कुलर के पब्लिक होते ही बीजेपी और कांग्रेस ने आप पर हमला बोला है. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी जो मुफ्त योजनाओं की घोषणा से चुनाव जीती है, उनके पास विधायक बहुत हैं, लेकिन पब्लिक सपॉर्ट नहीं है. शपथ ग्रहण में लोगों के भाग न लेने के भय से, इसने 30 हजार शिक्षकों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने को कहा है.’ कांग्रेस ने भी इसे लेकर आप की खिंचाई की है. पार्टी के प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने ट्वीट किया, ‘सरकारी आदेश में सरकारी स्कूल के टीचर्स से केजरीवाल के शपथ ग्रहण में शामिल होने कहा गया है. यह साफ है कि शपथ ग्रहण में भीड़ जुटाने के लिए शक्ति का दुरुपयोग हो रहा है.’
शिक्षा मॉडल पर योगदान
उधर, आलोचनाओं के बीच शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें आप सरकार के शिक्षा मॉडल पर उनके योगदान को सम्मान देने के लिए बुलाया जा रहा है.’ हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उपस्थिति अनिवार्य है या स्वेच्छिक.
‘अपने बेटे को आशीर्वाद देने जरूर आएं’
गुरुवार को अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था, ‘दिल्ली वासियों, आपका बेटा तीसरी बार दिल्ली के CM की शपथ लेने जा रहा है. अपने बेटे को आशीर्वाद देने जरूर आना है. रविवार 16 फरवरी, सुबह 10 बजे, रामलीला मैदान.’
दोबारा से सत्ता में आई AAP
बता दें कि 11 फरवरी को आए दिल्ली के चुनाव नतीजों में आम आदमी पार्टी 70 में से 62 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई है. वहीं बीजेपी को महज आठ सीटों से ही संतोष करना पड़ा है. जबकि कांग्रेस का पिछली बार की तरह इस बार भी खाता नहीं खुल सका है.