अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने के लिए चीन ने शुरू किए प्रयास

वाशिंगटन । चीन का खुद का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तैयार हो रहा है। रोवर मंगल ग्रह पर काम चल कर रहा है। हाल ही में चीनी वैज्ञानिकों ने बाह्यग्रहों के अध्ययन के लिए एक अभियान का प्रस्ताव भी दिया था। अब चीन ने खुद के क्षुद्रग्रह निगरानी और रक्षा तंत्र की रूपरेखा तैयार की है।
चीनी मीडिया के अनुसार साल 2025 तक इस सिस्टम से संबंधित तकनीकी परीक्षण करने की योजना पर काम चल रहा है। चीन इस परियोजना में धरती और अंतरिक्ष दोनों ही जगहों पर निगरानी और चेतावनी तंत्र स्थापित करेगा जो क्षुद्रग्रहों का एक कैटेलॉग बनाएंगे और उन क्षुद्रग्रहों की पहचान कर उनपर निगरानी रखेंगे जो अंतरिक्ष में मानवीय गतिविधियों के लिए खतरा हैं या भविष्य में हो सकते हैं।
इस तंत्र में यह तकनीक भी होगी जो खतरनाक श्रेणी में आ चुके इस तरह के पिंडों को खत्म करने भी सक्षम होगी। चाइना नेशनल स्पेस एडमिसन्ट्रेशन ऐसे सॉफ्टवेयर विकसित करेगा जो पृथ्वी से गुजरने वाले क्षुद्रग्रहों के टकरावों को सिम्यूलेट करेगा और उससे निपटने के लिए रक्षा प्रक्रियाओं के अभ्यास के लिए उसका प्रयोग किया जाएगा।
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के नेशन स्पेस साइंस सेंटर के प्रो ली मिंगताओ ने बताया कि फिलहाल पृथ्वी से संभावित विध्वसंक क्षुद्रग्रह टकरावों को टालने के लिए सबसे व्यवहारिक उपाय यही है कि किसी क्षुद्रग्रह से एक टकराव कर उसकी दिशा को बदल दिया जाए। इसके लिए चीन को एक कैरियर रॉकेट की जरूरत होगी जिसमें भारी मात्रा में बल लगाने वाला सामान हो जो क्षुद्रग्रह से इतने आवेग से टकराए कि उसकी दिशा ही बदल जाए।
नासा भी इस तरह के उपाय पर काम कर रहा है जिससे वह क्षुद्रग्रह की दिशा बदल सके। इसके लिए उसने पिछले साल नवंबर में ही डबल एस्ट्रॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (डीएआरटी) मिशन की परीक्षण किया था। इस परीक्षण में स्पेस एक्स का फॉल्कन 9 रॉकेट कैलिफोर्निया के वैडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से प्रक्षेपित हुआ था और उसने डिडिमस एस्ट्रॉयड सिस्टम को लक्ष्य बनाया है।
डिडिमस एस्ट्रॉयड सिस्टम में डिडिमस और डिमोर्फोस नाम के दो क्षुद्रग्रह हैं। यह जोड़ा सूर्य की परिक्रिमा की गति की तुलना में काफी कम गति से एक दूसरा चक्कर लगा रहा है। इससे टकराव का मापन करने में वैज्ञानिकों को आसानी होगी। यह यान इस तंत्र से इस साल 26 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच में टकराएगा। सबसे हाल का जो पृथ्वी से टकराव हुआ है वह साल 2013 में हुआ है जब 18 मीटर चौड़ा 11 हजार टन की उल्का एक 460 किलोटन के विस्फोट से रूस के शेलियाबिन्स्क शहर से टकराया था। इसके झटके से एक हजार लोग घायल हो गए थे। यह हिरोशिमा शहर पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए परमाणु बम से 20 से 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली था।

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